योगी सरकार मायावती-अखिलेश से निपटने महादलित-अतिपिछड़ा कार्ड खेलेगी

By Shobhna Jain | Posted on 10th Apr 2018 | राजनीति
altimg

लखनऊ, 10 अप्रैल (वीएनआई)| उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को दो दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती के एक साथ आने के बाद  गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 

लेकिन वर्ष 2019 में इस गठबंधन से निपटने का खाका उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तैयार कर लिया है। सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो बिहार की तर्ज पर जल्द ही प्रदेश सरकार भी महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड खेलेगी, जिससे इस गठबंधन के प्रभाव को कम किया जा सके और महादलितों एवं अतिपिछड़ों के भीतर सरकार को लेकर एक सकारात्मक माहौल बनाया जा सके। 

शासन से जुड़े एक आईएएस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के फॉर्मूले पर अब उत्तर प्रदेश भी आगे बढ़ने जा रहा है। उन्होंने बताया, अखिलेश और मायावती के गठबंधन के असर को कम करने के लिए राज्य सरकार लोकसभा चुनाव से पहले ही आरक्षण को लेकर बड़ी कवायद शुरू करने जा रही है। इसके जरिए उत्तर प्रदेश में भी अब कोटे में कोटा की शुरुआत होगी। सरकार की ओर से महादलित और अतिपिछड़ा को लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि ओबीसी और एससी/एसटी को मिलने वाले आरक्षण में अब राज्य सरकार भी बिहार सरकार की तरह समाज में अति पिछड़ी जातियों एवं महादलितों को आरक्षण की सीमा तय करेगी। अति पिछड़ा और महादलित की श्रेणी में आने वाली जातियों को लेकर मंथन जारी है।  उन्होंने बताया कि सरकार यह भी तय करने जा रही है कि महादलित एवं अतिपिछड़ा कार्ड सिर्फ झुनझुना न रहे। इसको अमल में भी लाया जाएगा। लोकसभा उपचुनाव से पहले होने वाली कई भर्तियां आने वाली अधिसूचना के आधार पर ही करवाई जाएंगी, जिससे अतिपिछड़े और महादलितों के भीतर सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बनाया जा सके। 

अधिकारी ने बताया कि महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड का लोकसभा चुनाव में काफी दूरगामी असर पड़ेगा। इससे उन जातियों को झटका लगेगा, जिनको ओबीसी और अतिपिछड़ा कोटे का लाभ ज्यादा मिलता रहा है। अब उनकी एक निर्धारित सीमा होगी। उससे ज्यादा उन जातियों को कोटे का लाभ नहीं मिलेगा। अधिकारी ने बताया कि हालांकि इस अधिसूचना को जारी करने से पहले सरकार हर स्तर पर इसके नफा-नुकसान को लेकर आंकलन में जुटी हुई है। यदि सबकुछ सही रहा तो अगले महीने तक यह अधिसूचना जारी हो जाएगी।  शासन से जुड़े सूत्रों ने भी स्वीकार किया है कि सरकार दलितों और अतिपिछड़ों के बीच अपनी पकड़ बनाने की कवायद तेज करने जा रही है। इसी एजेंडे के तहत सोमवार को उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों को लेकर एक बैठक योजना भवन में हुई थी। इस बैठक में मुख्मयंत्री योगी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री एवं संचार मंत्री मनोज सिन्हा भी मौजूद थे। 

सूत्र ने बताया कि इस बैठक का एजेंडा यही था कि सरकार के मंत्री इन पिछड़े जिलों में कैंप करें और दलितों और अतिपिछड़ों में अपनी पैठ बनाने का प्रयास करें। इन जिलों में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू कराने के प्रयास किए जाएंगे। उप्र के आठ जिले विकास की मुख्यधारा से अलग-थलग हैं, जिसमें सिद्घार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चित्रकूट, चंदौली व फतेहपुर ऐसे जिले हैं, जो उत्तर प्रदेश में अति पिछड़े घोषित किए गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार दुर्गेश उपाध्याय का मानना है कि उप्र में यदि सरकार चाहे तो महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड खेल सकती है। इससे मायावती और अखिलेश को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, "सरकार यदि यह कार्ड खेलती है तो इसका फायदा उसे मिल सकता है। महादलित और अतिपिछड़ी जातियां सरकार के साथ खड़ी दिखाई दे सकती हैं। इससे भाजपा को भी फायदा मिलेगा और मायावती-अखिलेश के गठबंधन का असर कम हो सकता है।"


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Quote of the Day
Posted on 14th Nov 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india