नई दिल्ली, 05 अक्टूबर, (वीएनआई) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर मुंबई मेट्रो के लिए आरे में पेड़ों की कटाई पर का कहा है कि मजबूरी में पेड़ काटे जाते हैं तो उसकी भरपाई भी की जाती है।
पर्यावरण मंत्री जावडेकर ने कहा कि यूं भी बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरे को जंगल नहीं माना है। उन्होंने दिल्ली मेट्रो के पहले स्टेशन के निर्माण के वक्त इसी तरह के विरोध की याद दिलाते हुए कहा कि पेड़ सिर्फ काटे ही नहीं जाते हैं, लगाए भी जाते हैं। उन्होंने कहा, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह जंगल नहीं है। पहला दिल्ली मेट्रो स्टेशन बनाने के लिए भी 20-25 पेड़ काटे जाने थे। लोगों ने तब भी विरोध किया था, लेकिन काटे गए हरेक पेड़ के बदले पांच पौधे लगाए गए थे।
जावडेकर ने आगे कहा है कि विकास कार्यों के दौरान पर्यावरण के विरुद्ध कार्रवाई के मद्देनजर उचित कदम उठाए जाते हैं। उनके अनुसार विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने की मजबूरी होती है तो इसका भी ध्यान रखा जाता है बदले में नए पौधे लगाए जाएं ताकि पर्यावरण संरक्षण की जरूरत भी पूरी होती रहे। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में सिर्फ मेट्रो के लिए ही काम नहीं हुआ, पेड़ों की तादाद भी बढ़ाई गई।
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