कोलकाता, 18 नवंबर (वीएनआई)| माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने भाजपा पर देश की क्रांतिकारी ताकतों को कमजोर करने के लिए 'चौतरफा हमले' शुरू करने का आरोप लगाते हुए क्रांतिकारी आंदोलन का रास्ता बनाने के लिए पार्टी तंत्र को मजबूत करने का आग्रह किया है।
येचुरी ने रूसी क्रांति के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर कहा, वर्तमान दौर में देश के क्रांतिकारी आंदोलन में बाधा डालने के लिए चौतरफा हमले हो रहे हैं। इनमें औपनिवेशिक शक्तियों का उदय, पूंजीपतियों को लाभ देने वाली आर्थिक नीतियां, देश की विरासत और समग्र संस्कृति का विनाश और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर निरंतर हमले शामिल हैं। ये वर्तमान राजनीतिक स्थिति है। उन्होंने कहा, इसलिए अगर हम वर्तमान स्थिति के तहत अपने क्रांतिकारी आंदोलन को आगे ले जाना चाहते हैं, तो हमें अपने हथियार को मजबूत करना होगा, जिससे इन हमलों के प्रयासों को सफलतापूर्वक रोका जा सके। उन्होंने कहा, यह हथियार हमारी पार्टी है। वामपंथी पार्टी ही एकमात्र हथियार है, जो लोगों को एकजुट कर सकती है और उनकी एकता को मजबूत कर सकती है।
येचुरी ने आरोप लगाया कि संसद में शीतकालीन सत्र शुरू करने के बजाए केंद्र सरकार 'गुजरात मॉडल' आयात कर रही है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों को देखते हुए संसदीय प्रणाली से छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने कहा, वे चुनाव से पहले संसद सत्र शुरू नहीं करने देना चाहते हैं, क्योंकि अगर संसद सत्र शुरू होता है तो इसमें अमित शाह के बेटे जय शाह के घोटाले, व्यापमं घोटाले, नोटबंदी और जीएसटी जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होगी। वे देश की संसदीय व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। रूसी क्रांति का जिक्र करते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि अगर वामपंथी पार्टियां देश में बढ़ती अशांति के बीच क्रांतिकारी आंदोलन करने में असमर्थ रहती हैं तो दक्षिणपंथी शक्तियां इसका अच्छा इस्तेमाल करेंगी।
येचुरी ने कहा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्रांति के लिए हमारे आसपास की स्थिति अनुकूल है या नहीं। लेनिन हमेशा कहते थे कि जब तक हमारे हथियार या व्यक्तिपरक कारक का सही उपयोग नहीं किया जाता है तब तक हम इसका लाभ नहीं ले पाएंगे। उन्होंने कहा, "हमारे देश सहित पूरे विश्व में सत्ताधारी शक्तियां हैं। इसलिए वामपंथी बल को लोगों को एकजुट कर एक समान लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ना होगा। क्रांतिकारी आंदोलन शुरू करने के लिए समाज में पर्याप्त कारण हैं। यह देखना बाकी है कि क्या वामपंथी ताकतें इसका लाभ उठाती हैं या फासीवादी ताकतें।"
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