चेन्नई, 08 अगस्त, (वीएनआई) राजनीती में कभी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रहे जयललिता और करुणानिधि के बारे में जब-जब तमिलनाडु का इतिहास लिखा जाएगा, तब इन दोनों मु्ख्यमंत्रियों का जरूर याद किया जाएगा।
करुणानिधि और जयललिता भले ही धुर विरोधी रहे हो, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद दोनों की मौत ने एक-दूसरे को नजदीक ला ही दिया। हाईकोर्ट के फैसले के बाद 94 वर्षीय करुणानिधि का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर किया जाएगा। एम करुणानिधि का भी उसी जगह अंतिम संस्कार होगा, जहां जयलिलता को दफनाया गया था। गौरतलब है दिसंबर 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी मरीना बीच पर ही किया गया था। जयललिता का अंतिम संस्कार उनके गुरु रहे एमजी रामचंद्रन के मेमोरियल में ही हुआ था। क्योंकि वॉटर फ्रंट से 500 मीटर के दायरे में किसी निर्माण की रोक थी।
वहीँ इससे पहले डीएमके ने करुणानिधि की मौत के बाद मरीना बीच पर दफनाने के लिए सरकार से जमीन मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार ने वहां चल रहे कोई जमीनी विवाद का हवाला देते हुए वह जगह देने से इनकार कर दिया था। डीएमके इस मामले को रात में ही कोर्ट में ले गई, जिसके बाद तमिलनाडु की राजनीति में सियासी उठापठक तेज हो गई। मद्रास हाईकोर्ट ने आज सुबह डीएमके को राहते देते हुए, मरीना बीच पर ही करुणानिधि का अंतिम संस्कार करने की इजाजत दे दी।
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