नई दिल्ली, 5 जनवरी (वीएनआई)| आगामी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले आम बजट पेश किए जाने का विपक्षी दलों ने आज विरोध करते हुए निर्वाचन आयोग से मुलाकात की।
कांग्रेस के नेतृत्व में जनता दल (युनाइटेड), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधि निर्वाचन आयोग के दफ्तर पहुंचे। उन्होंने मतदान शुरू होने से ठीक पहले एक फरवरी को आम बजट पेश किए जाने पर आपत्ति जताई। गौरतलब है निर्वाचन आयोग ने बीते बुधवार को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, और मणिपुर में मतदान की प्रक्रिया चार फरवरी से शुरू होकर आठ मार्च को समाप्त होगी और मतगणना 11 मार्च को होगी।
निर्वाचन आयोग पहुंचने से पहले जद (यू) के नेता के.सी. त्यागी ने कहा, विधानसभा चुनाव के महज तीन दिन पहले केंद्रीय बजट पेश किए जाने से सरकार को न सिर्फ मतदताओं के लुभाने के लिए अनुचित लाभ मिलेगा, बल्कि वास्तव में यह आचार संहिता का उल्लंघन भी है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि चुनाव से ठीक पहले बजट पेश किया जाना स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करेगा। शर्मा ने कहा, यह सुनिश्चित करना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है कि ऐसे हालात सामने न आएं, जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो। हमने इस संबंध में पहले ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सूचित कर दिया है।
वहीं, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है। विपक्षी दल बेवजह इसे तूल देकर सरकार के संवैधानिक कर्तव्य का राजनीतिकरण कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, "बजट सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है। इसका किसी राज्य से कोई संबंध नहीं है। बजट (1 फरवरी को) पेश किए जाने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है, बल्कि इस बारे में पहले ही फैसला किया जा चुका है और सभी संबंधित पक्षों को इसकी जानकारी समय रहते दी गई। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बजट का विरोध कांग्रेस और सपा की हताशा को दिखाता है। उन्होंने कहा, उत्तराखंड में कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में है। उन्होंने पिछले पांच साल के अपने कार्यकाल में कोई काम नहीं किया है और इसलिए वे बजट (1 फरवरी को पेश किए जाने) को लेकर डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, बजट एक संवैधानिक अनिवार्यता है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। देश में लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय अथवा पंचायत चुनाव होते रहे हैं। इनकी वजह से कभी बजट को स्थगित नहीं किया जाता।"