नई दिल्ली,७ जनवरी(वी एन आई) बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ चुनाव आयोग में आज एक याचिका दायर कर धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने का आरोप लगाया है. इस आधा्र पर बीएसपी की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है. भाजपा के प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य नीरज शंकर सक्सेना ने शिकायत दर्ज कराई.
सक्सेना का कहना है कि मायावती ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के खिलाफ बयान जारी किया है. पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म और जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकते.
शिकायत के मुताबिक, मायावती ने 3 जनवरी 2017 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची जारी की थी. उक्त सूची को मायावती ने धर्म और जाति के आधार पर विभाजित किया था. साथ ही मायावती ने बसपा की एक बुकलेट जारी कर कहा था कि मुसलमानों की सच्ची हितैषी बसपा है. आने वाले चुनाव में वह सपा को नहीं बसपा को वोट दें.
इस शिकायत में सक्सेना का कहना है कि ये सारी बातें जनप्रतिनिधि अधिनियम एक्ट के प्रावधान 125 के तहत अपराध है. लिहाजा चुनाव आयोग मायावती के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराए और उनकी पार्टी की सदस्यता रद्द करें.
गौरतलब है कि मायावती ने हाल में अपने संवाददाता सम्मेलनों में कहा था कि उनकी पार्टी ने 87 दलितों, 97 मुसलमानों तथा 106 अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को चुनाव के टिकट दिए हैं. इसके अलावा बाकी 113 सीटों पर अगड़ी जातियों को टिकट दिए गए हैं. इनमें ब्राहमणों को 66, क्षत्रियों को 36, कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है.