नई दिल्ली/लखनऊ, 26 दिसंबर (अनुपमाजैन/वीएनआई) उत्तर प्रदेश मे विधान सभा चुनावो के तारीख के एलान की तारीख के नजदीक आने के साथ ही समाजवादी पार्टी में टिकटो के बंटवारे को ले कर चाचा-भतीजे की लड़ाई अधिक उग्र और सार्वजनिक हो रही है.पार्टी अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव के पार्टी मे तमाम सुलह सफाई प्रयासो और पार्टी कलह के संघर्ष विराम के दिखावे के बावजूद चाचा शिवपाल यादव और भतीजा अखिलेश ने अब पार्टी के प्रत्याशियो की सूची अलग अल्ग जारी कर रहे है.
अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को झटका देते हुए अपनी तरफ से 403 उम्मीदवारों की लिस्ट सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को सौंप दी है. खबर है कि इस लिस्ट में शिवपाल के करीबी को तरजीह नहीं दी गई है.खास बात यह है कि सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पहले ही 175 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुके हैं. दोनों सूचियों में कुछ नाम छोड़कर बाकी नाम मेल नहीं खा रहे हैं. अखिलेश की सूची में अंसारी बंधुओं, अतीक अहमद और अमनमणि का नाम शामिल नहीं है. वहीं पार्टी के 35-40 विधायको के टिकट काट दिए गए हैं. इसके मद्देनजर अखिलेश की लिस्ट टकराव का कारण बन सकती है. इससे पहले शिवपाल ने ट्वीट करके कहा कि सीएम का चुनाव विधायक दल ही करेगा और पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.इधर चुनाव की तैयारियों के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कल उत्तर प्रदेश सरकार के विवादास्पद कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिया है, जिन्हे अखिलेश ने पहले मंत्री पद से हट्टा दिया था बाद मे पिता के कहने पर दोबारामंत्री तो बना दिया लेकिन सूत्रो के अनुसार दूरियॉ बनी हुई है.
अखिलेश के इस कदम से यादव परिवार में एक बार फिर कलह मचना लगभग तय है.्पिछले दो दिन से ही पार्टी के भीतर उथल पुथल की सुगबुगाहट का माहौल है. अमर सिंह और शिवपाल ने बीती शाम मुलायम सिंह से भी मुलाक़ात भी की है लेकिन अखिलेश ने अपनी तरफ से लिस्ट सौंपकर फिर से कुछ नए विवाद को हवा दे दी है और अपने इरादे से सबको रु-ब-रु करवा दिया है.
दरअसल जिन नेताओं को लेकर पार्टी में अखिलेश यादव नाराजगी जता चुके हैं, उनके नाम को अखिलेश की लिस्ट में जगह नहीं दी गई है. वहीं अखिलेश के इस कदम से साफ हो गया है कि शिवपाल से उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी, क्योंकि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं और उम्मीदवारों के नाम तय करना उनके कार्यक्षेत्र में आता है.हालांकि कुछ समय पूर्व जब पार्टी मे चाचा भतीजे के बीच उग्र सार्वजनिक टकरा हुआ था तभी मुलायम सिंह यादव के सुलह के प्रयासो के बीच अखिलेश ने तब कहा था टिकटि के बंटवारे मे उनकी राय लेना जरूरई हो.अखिलेश के इस कदम के बाद शिवपाल ने टि्वटर के जरिये हमला किया. उन्होंने अखिलेश पर निशाना साधते हुए लिखा कि पार्टी में अनुशासनहीनता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचता हो. साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि टिकट का बंटवारा जीत के आधार पर होगा और अब तक इस पैमाने को मानक मानकर 175 लोगों को टिकट दिया जा चुका है.
शनिवार से ही पार्टी के भीतर गहमागहमी का माहौल था. अमर सिंह और शिवपाल ने बीती शाम मुलायम सिंह से भी मुलाक़ात भी की है लेकिन अखिलेश ने अपनी तरफ से लिस्ट सौंपकर फिर से कुछ नए विवाद को हवा दे दी है और अपने इरादे से सबको रु-ब-रु करवा दिया है.
फिलहाल प्रजापति यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है और परिवहन मंत्रालय का काम देखते हैं. खनन विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों के बाद यूपी सीएम अखिलेश यादव ने इसी साल सितंबर महीने में प्रजापति को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही अखिलेश को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और वह फिर से यूपी सरकार का हिस्सा बन गए हैं. प्रजापति को मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव का काफी करीबी माना जाता है.
एक तरफ तो सपा चुनावों के ध्यान में रखते हुए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है तो दूसरी तरफ उनकी अपनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही. हाल ही में उन्होंने 17 पिछड़ी जातियों को दलित कोटे में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया है. अब यह प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा जाएगा.इन जातियों में कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिंद, भर, प्रजापति, राजभर, बाथम, गौर, तुरा, मांझी, मल्लाह, कुम्हार, धीमर, गोडिया और मछुआ शामिल हैं.यही नहीं उन्होंने महज 4 घंटों में 50 हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं लॉन्च कीं