नई दिल्ली 29 अप्रैल (वीएनआई) पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री और गैंगरेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले स्पेशल जज ओम प्रकाश मिश्र को इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने बर्खास्त कर दिया है. इससे पहले राज्य सरकार ने POCSO कोर्ट के इस आदेश को चीफ जस्टिस के सामने चुनौती दी थी.प्राप्त जानकारी के अनुसार न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल मिश्रा के खिलाफ जांच करेंगे , मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोंसले ने न्यायाधीश द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता को जमानत दिए जाने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अतिरिक्त जिला और सत्र अदालत के न्यायाधीश की सभी शक्तियां भी छीन लीं।जस्टिस मिश्रा POSCO कोर्ट में नियुक्त हैं और वे कल ही यानी 30 अप्रैल कल रिटायर हो रहे है
चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में लिखा 'जिस तरह से जानकार जज ने अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए आरोपी को जमानत देने में जल्दबाज़ी दिखाई, उससे हमें इन न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है जो खुद 30/4/2017 को रिटायर हो रहे हैं.' इस मसले पर जस्टिस मिश्र ने जमानत देने के पीछे अपने आदेश में यह तर्क दिया था कि 'प्रजापति मामले में पीड़ित महिला ने 2014-16 के दौरान बलात्कार की शिकायत नहीं की. इससे पीड़ित महिला के दावे पर संदेह होता है.'
गौरतलब है कि अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर 2014 में एक महिला और उसकी बेटी से बलात्कार की कोशिश के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। 17 फरवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रजापति और 6 अन्य लोगों पर मुकदमा दायर किया गया था। पिछले महीने की 15 तारीख को पुलिस ने प्रजापति को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद कहा था कि अगर पुलिस सच सामने लाना चाहती है तो उनका और कथित पीड़िता मां-बेटी का नारको टेस्ट करवाया जाना चाहिए।
एेसा नहीं कि गायत्री प्रजापति पहली बार किसी मामले में फंसे हों। इसके पहले उनका नाम अवैध खनन के मामले में भी आ चुका है। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रजापति को पिछले साल सितंबर में कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्हें दोबारा मंत्री बना दिया गया।