नई दिल्ली, 22 फरवरी(शोभना,अनुपमा जैन,वीएनआई)बदले राजनैतिक परिपेक्ष्य मे आगामी तेईस फरवरी से शुरू होने वाला संसद का बजट सत्र खासा हंगामेदार होने के संकेत है.सत्र ऐसे वक्त हो रहा है जबकि दिल्ली विधान सभा चुनाव मे सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार, बिहार मे सत्ता की रस्साकसी मे विपक्ष के दॉव जीत लेने, मंहगाई, संघ परिवार के कुछ सदस्यो की तीखी टिप्पणियो और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे मुद्दो को लेकर विपक्ष आक्रामक तैवर मे है, और इस तमाम मुद्दो के साथ सरकार के तथाकथित \'अध्यादेश मार्ग\' से शासन चलाने को लेकर उसे घेरने की तैयारी मै है. राज्य सभा मे बहुमत नही होने से जुझ रही सरकार के समक्ष बजट सत्र के पहले चरण मे छह अध्यादेशो के बदले विधेयको को पारित कराने की चुनौती है. लगभग तीन माह तक चलने वाले इस सत्र मे मोदी सरकार का पहला पूर्णकालिक बजट पेश होगा.
दो चरणों में होने वाला बजट सत्र 8 मई तक चलेगा. पहला चरण 23 फरवरी से शुरू होकर 20 मार्च और दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरू होकर 8 मई तक चलेगा। आगामी 26 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल बजट और वित्त मंत्री 27 फरवरी को आर्थिक सर्वेक्षण और 28 फरवरी, 2015 को आम बजट पेश करेंगे.बजट सत्र की शुरूआत परसो संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के सदस्यों के सम्मुख राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण से होगी
बजट सत्र के प्रस्तावित 44 विषयों की सरकारी कार्यसूची में वित्तीय, विधायी और गैर-विधायी विषय शामिल हैं। वित्तीय कामकाज (11 विषयों) में 2015-16 के आम और रेल बजट को प्रस्तुत किया जाना और उन पर चर्चा, 2015-16 के रेल और आम बजट दोनों के लिए अनुदान मांगों पर चर्चा और मत विभाजन, 2014-15 के लिए पूरक अनुदान मांगों और यदि 2013-14 के लिए कोई अतिरिक्त मांग हो तो संबंधित विषय शामिल हैं।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कल बजट सत्र से पहले आपसी परामर्श के लिए दोनों सदनों में दलों के नेताओं के साथ बैठक बुलाई है। इस दौरान दोनों सदनों में विचार किए जाने वाले वित्तीय, विधायी और अन्य कामकाज पर विभिन्न दलों के नेताओं के साथ चर्चा करेगी.विधायी कार्यसूची में दोनों सदनों में 7 नये विधेयक पेश करना, उन पर विचार करना और उन्हें पारित कराना शामिल है। इन विधेयकों में वित्त विधेयक 2015, छह अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक, लोकसभा में लंबित तीन और राज्यसभा में लंबित सात विधेयकों पर विचार करना और उन्हें पारित कराना तथा दस नये विधेयक पेश करना शामिल है।
लोकसभा में लंबित विधेयक हैं- वस्तु एवं सेवा कर लागू करने से संबंधित संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014, लोकपाल और लोकायुक्त और अन्य संबंधित कानून (संशोधन) विधेयक 2014 तथा निरस्त करना और संशोधन करना विधेयक 2014 । लोकसभा द्वारा इन्हें पारित किए जाने के बाद इन पर राज्यसभा द्वारा विचार किया जाना आवश्यक है।
राज्यसभा में लंबित चार विधेयक पहले ही लोकसभा ने पारित कर दिए हैं। ये हैं- कंपनी (संशोधन) विधेयक 2014, सार्वजनिक भवन (अनधिकृत रूप से रह रहे लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2014, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक 2014, निरस्त करना और संशोधन (दूसरा) करना विधेयक 2014 तथा भुगतान और निपटान प्रणालियां (संशोधन) विधेयक 2014 । अन्य लंबित विधेयक हैं- भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2013 और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2014 ।
पेश किए जाने वाले नये विधेयक, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, भंडारण निगम, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन, मध्यस्थता और सुलह-सफाई, विनियोजन अधिनियमों के निरस्त करने, जन्म और मृत्यु पंजीकरण, व्हिसल ब्लोअर संरक्षण, भारतीय प्रबंधन संस्थानों, राष्ट्रीय शैक्षणिक कोष और अनुसूचित जातियों की पहचान से संबंधित हैं। वी एन आई