नवरात्रि की सप्तमी ति्थिः माँ कालरात्रि की आराधना का समय

By Shobhna Jain | Posted on 19th Oct 2015 | देश
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर(वीएनआई) माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं.नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप माँ कालरात्रि का पूजन किया जाता है| ऐसी मान्यता है की इनके आशीर्वाद से भक्तों को समस्त प्रेत बाधाओं और भय से मुक्ति मिलती है| इस दिन पूजा के दौरान सबसे पहले स्थापित किये गए कलश की पूजा पूरे परिवार द्वारा की जाती है| इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है. उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है. उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य का वह भागी हो जाता है. उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है. उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली देवी हैं. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. मां कालरात्री हमारे जीवन में आने वाली सभी ग्रह-बाधाओं को भी दूर करती है. माता की पूजा करने वाले को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय कभी नहीं सताता इनकी कृपा से भक्त हमेशा-हमेशा के लिए भय-मुक्त हो जाता है. देवी कालरात्रि का वर्ण काजल के समान काले रंग का है जो काले अमावस की रात्रि को भी मात देता है. मां कालरात्रि के तीन बड़े बड़े उभरे हुए नेत्र हैं जिनसे मां अपने भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रखती हैं. देवी की चार भुजाएं हैं दायीं ओर की उपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं. बायीं भुजा में: तलवार और खड्ग मां ने धारण किया है. देवी कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और हवाओं में लहरा रहे हैं. देवी कालरात्रि गर्दभ पर सवार हैं. मां का वर्ण काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है. देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है इसलिए देवी को शुभंकरी भी कहा गया है. इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है. इनकी पूजा के बाद देवाधिदेव शिव और ब्रम्हा की भी पूजा की जाती है| माँ कालरात्रि को महामाया, महामारी, महाकाली, सुधा, त्रिशा, निद्रा, तृष्णा, एकवीरा और द्रुतयाया के नाम से भी जाना जाता है| इनकी अराधना में उपासक कालरात्रि कवच, कालरात्रि स्तोत्र और इनको समर्पित मन्त्रों का भी जाप करते हैं| माँ कालरात्रि का ध्यान मंत्र है: कराला रूपा कालबाजा समानकृति विग्रह कालरात्रि शुभः दढार्थाः देवी चांदत्ता हासिनी|

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