नई दिल्ली १५ अक्टूबर (वीएनआई) आज नवरात्र का तीसरा दिन है, आज के दिन मां भगवती की तीसरी शक्ति ‘चन्द्रघण्टा’की उपासना तथा विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है. नवरात्र के तीसरे दिन चन्द्रघण्टा की पूजा इसलिए होती है क्योंकि माता का पहला रूप और दूसरा रूप भगवान शिव को पाने के लिए है। जब मातारानी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह अपने आदिशक्ति रूप में आ जाती हैं। इनका यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है. इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण से इन्हें चन्द्रघण्टा देवी कहा जाता है. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. इनके दस हाथ हैं. इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है. नवरात्र की दुर्गा उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है. इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है. मां चन्द्रघण्टा की कृपा से उसे अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. मां चन्द्रघण्टा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं विनष्ट हो जाती हैं. इनकी आराधना सद्य: फलदायी हैं. हमें निरन्तर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए. उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परमकल्याणकारी और सद्गति को देने वाला है
मां चंद्रघंटा की उपासना करने का मंत्र बहुत ही आसान है। मां दुर्गा की भक्ति पाने के लिए र नवरात्रि ्के तृतीय दिन इसका जाप करना चाहिए।
मंत्र इस प्रकार है: पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥