क्रोध वो तेजाब है जो सबसे ज्यादा उस बर्तन को नुक्सान पहुंचाता है जिसमे वो रखा है
आपको, आपके क्रोध के लिए दण्डित नहीं किया जायेगा ,बल्कि आपका क्रोध ही आपको दण्डित करेगा
जो चीज़ क्रोध के साथ आरम्भ होती है ,वो शर्म के साथ ही समाप्त होती है
क्रोध बिना किसी कारण के नहीं आता ,पर कभी कभी ही ,कारण सही होते हैं