उम्मीद की रौशनी

By Shobhna Jain | Posted on 12th Apr 2017 | देश
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एक बेहद निराशा-दायक घंटे में सिर्फ 60 मिनट ही होते हैं सोने से पहले अपनी सोच को सकारात्मक रखें ,बेशक दिन, कितना ही तनाव-पूर्ण हो , आने वाला दिन आपको बेहतर करने का एक और मौका देगा जिंदगी लम्हों का खेल है ,लम्हों का इंतज़ार न करें , लम्हों को रचें

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