उत्सव

By Shobhna Jain | Posted on 2nd Jan 2017 | देश
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सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 02 -01-2017 जिदगी को जीना एक बात है , जिंदगी उत्सव के रूप में मनाना दूसरी बात जैसे जैसे , हम जिदगी को उत्सव के रूप में लेते हैं वैसे वैसे, जिदगी हमें उत्सव के और मौके देती है जब जिदगी में मिठास है तो धन्यवाद कहें और उत्सव मनाएं, जब जिदगी में कड़वाहट है तो फिर धन्यवाद कहें और आगे बढ़ें उत्सव मानाने का सबसे मुनासिब वक्त है ,जब भी आप मानाना चाहें

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