नई दिल्ली,2 जुलाई ( शोभना,अनुपमा /वीएनआई) जैन मुनि आचार्य श्री सुनील सागर जी ने समाज में बढती असहिष्णुता पर चिंता व्यक्त करते हुयें कहा हैं किअहिंसा, सहिष्णुता , शांति हमारें समाज का मूल मंत्र रही हैं और वसुधैव कुटुंबकम हमारा दर्शन, जिस नातें हम पूरें विश्व को ही अपना परिवार मानते हैं तो ऐसे में अपने ही देश समाज मे "मैं और तुम" की बात आखिर क्यों? उन्होंने कहा किसी भी ्लोकतांत्रिक समाज में मतभेद होना स्वाभाविक हैं. जैन धर्म का "अनेकांत का सिद्धांत" इसी दर्शन पर आधारित हैं. जहा सभी मतों को सम्मान देने की बात हैं. उन्होंने कहा".मतभेद हो लेकिन मनभेद कतई नही " होने चाहियें. समाज इसी मानवीय सोच से आगें बढता हैं.
आचार्य श्री यहा स्थानीय ऋषभ विहार जैन मंदिर में अपने संघ के साथ अपने चातुर्मास स्थापना समारोह में उदबोधन दे रहे थे. उनके संघ में 51 मुनि श्री, ब्रहचारी, क्षुल्लक जी, आर्यिकाजी और साध्वी गण यहा चातुर्मास के लियें विराजित है. आचार्य श्री ने कहा कि अहिंसा परमों धर्म ना केवल जैन धर्म बल्कि भारत का दर्शन रहा हैं. जैन धर्म उस समाजिक समरसता को समर्पित है , जहा शेर और बकरी एक ही घाट से पानी पीते हैं. इसी समरसता की भावना को आज और मजबूत करनें की जरूरत हैं. उन्होंने कहा कि आज धर्म परिवर्तन की खबरें काफी सुनाई देती है. जरूरत धर्म परिवर्तन की नही अपितु ह्र्दय परिवर्तन की हैं. भारतीय चिंतन सभी धर्मों का सम्मान करता हैं. सदियों से हम आपसी सौहार्द से रहते हैं. सभी एक ्दूसरे धर्म का सम्मान करें. संकीर्ण भावनाओं और दीवारों की समाज में कोई जगह नही होनी चाहियें, इ्सी सोच के चलतें देश और तेजी से तरक्की कर पायेगा.
जैन संतों, साध्वियों द्वारा मोरपंखो से बनी पिच्छिका को कुछ तत्वों द्वारा हिंसक बतायें जानें को ले कर पनपें विवाद पर आचार्य श्री ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर जीवन भार अहिंसा घोर तप का जीवन जीने वाले जैन साधुओं के इस संयम उपकरण के बारें मे ऐसी कल्पना भी कैसे की जा सकती हैं कि वे ऐसी पिच्छिका को ग्रहण करते हैं. दरसल यह पिच्छिका मोर द्वारा वर्षा काल मे खुद बखुद झड़ कर गिरायें गये मोर पंखों से बनती हैं, जिस से अहिंसक साधु बैठते हुयें भी पूरा एहतियात बरतते हुयें पिच्छिका से भूमि भी साफ करते है तकि कोई चींटी ,मकोड़ा तक नहीं दब जायें. न केवल सरकार को बल्कि इस मामले से जुडें सभी पक्षों को वस्तुस्थति समझनी चाहिये, ऐसी कल्याण कारी पिच्छिका को ले कर इस तरह का भ्रामक प्रचार बंद किया जायें
इसअवसर पर श्री दिगंबर जैन सभा ऋषभ विहार के महामंत्री विपुल जैन ने बताया कि सभा भगवान महावीर के 2550 निर्वाण दिवस समापन समारोह को देश भर में ्दिव्य और भव्य स्तर देश भर के सम्पूर्ण जैन समाज के साथ मिल कर एक योजना बना रही हैं, जिस में दिगंबर जैन समाज के सभी लोगों से इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम से जुड़नें की अपील करेंगें. सांध्य महालक्ष्मी के श्री शरद जैन ने मंच का संचालन करते हुयें कहा कि भगवान महावीर का अहिंसा के सिद्धांत आज पहलें से कहीं इस ज्यादा प्रासंगिक हैं( वीएनआई)