नई दिल्ली, 19 अक्टूबर, (वीएनआई) शरद नवरात्रि के पांचवे दिन आज मां स्कंदमाता की पूजा होती है। स्कंदमाता देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। देवी के भक्त स्वयं को अशुद्ध विचारों से शुद्ध करने और सांसारिक तनावों से छुटकारा पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं।
स्कंदमाता को अपने शिशु पुत्र कार्तिकेय को गोद में लिए हुए दर्शाया गया है। शास्त्रानुसार सिंह पर सवार स्कन्दमातृस्वरूपणी देवी की चार भुजाएं हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंद माता ने राक्षस तारकासुर को पराजित किया और अपने भक्तों को उनकी इच्छाओं का आशीर्वाद दिया।
नवरात्रि पूजन के पांचवे दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। और यह विशुद्ध चक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसका अर्थ है सभी दिशाओं में शुद्ध। जो लोग व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं, वे अपनी चिंता संबंधी समस्याओं से राहत पा सकते हैं। वहीं पूजा विधि में साफ कपड़े पहनना, पूजा सामग्री चढ़ाना, मंत्रों का जाप करना और दुर्गा सप्तशती पाठ करना आवश्यक बताया गया है।
स्कंदमाता का मंत्र :-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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