श्री महावीर जी, राजस्थान, 19 मार्च (वीएनआई) जैन धर्मावंलबियों के सुप्रसिद्ध आस्था स्थल श्री महावीर जी का वार्षिक "लक्खी मेला" कोरोना महामारी से संक्रमण रोकने के लिये एहतियात बतौर इस बार सीमित तौर पर ही मनाया जायेगा. इस बार यह मेला रस्मी तौर पर लेकिन पूरे विधि विधान के साथ मनाया जायेगा.दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी मंदिर प्रबंध कारिणी ने सतर्कता बरते हुए यह फैसला लिया हैं. पॉच दिवसीय यह मेला आगामी ३ अप्रैल से यहा शुरू होने वाला था. इस में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की भारी संख्या देखते हुए ही यह " लक्खी मेला" नाम से मशहूर हैं, जिस में रथ यात्रा विशेष आकृषण का केन्द्र होती हैं.
जैन केलेंडर के अनुसार हर वर्ष यह मेला चैत्र शुक्ला 13 से द्वितीय बै्साख कृषणा तक आयोजित किया जाता हैं. यह तीर्थ विशेष तौर पर मेला समाजिक सौहाद्र का प्रतीक हैं जहा जैन श्रद्धालुओं के अलावा, स्थानीय मीणा, गुर्जर सहित सभी संप्रदायों के लोग पूरे श्रद्धा भाव से मौजूद रहते हैं.इस अवसर पर पूरी धूमधाम रहती हैं, जिस में स्थानीय लोग भी बड़े उत्साह से हिस्सा लेते हैं. इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक समारोह आयोजित किये जाते हैं. मंदिर की प्रबंध कारिणी में उपाध्यक्ष श्री एस के जैन आई पी एस के अनुसार वार्षिक मेले के अवसर पर होने वाले समस्त सांस्कृतिक कार्यक्रम कोरोना संक्रमण से श्रधालुओं को बचाने के लियें निरस्त करने का निर्णय लिया गया हैं.
अब मेला सभी प्राचीन परंपराएं , रस्मों व रथयात्रा सहित सभी धार्मिक कार्यक्रमो का पालन करते हुए रस्म के तौर पर मनाया जाएगा। श्री जैन ने कहा फिलहाल सतर्कता बरते हुए वार्षिक मेले के अवसर पर क्षेत्र की सभी धर्म शालाओं की ऑनलाइन बुकिंग बंद कर दी गई है. गौर तलब हैं कि यहा बड़ी तादाद में देश विदेश से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं. कोरोना के मद्देनजर वर्तमान में जो यात्री क्षेत्र में आ रहे हैं उनको हाथ धुलवाकर व्यवस्थित रूप से दो चार यात्रियों की ही मंदिर के दर्शन करने की अनुमति दी जा रही है महावीर जी क्षेत्र में प्रत्येक घंटे में कीटाणु रोधक सामान से सफाई कर्रवाई जा रही हैं जिला कलेक्टर करौली डॉक्टर मोहन लाल यादव ,पुलिस अधीक्षक अनिल बेनीवाल स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश मीणा द्वारा क्षेत्र की कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना की.
यह मंदिर श्री भगवान महावीर स्वामी का भव्य विशाल मंदिर है. यह दिगंबर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. राजस्थान में सवाई माधोपुर के निकट गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री वर्धमान महावीरजी की मूर्ति विराजित है. मंदिर निर्माण की प्रचलित कथा इ्स प्रकार हैं. लगभग 400 साल पहले एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक ग्वालें ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद ग्वालें ने इस टीले की खुदाई की... खुदाई में श्री महावीर भगवान की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ बाद में इसी स्थान पर यह मंदिर बना. यहां की मुख्य बात यह है कि इस छत्री पर चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा उसी ग्वालेंके वंशजों को दिया जाता है जिसने प्रतिमा को भूमि से खोदकर निकाला था। जैन केलेंडर के अनुसार हर वर्ष यह मेला चैत्र शुक्ला १३ से द्वितीय बै्साख कृषणा तक आयोजित किया जाता हैं.वी एन आई
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