मुंबई, 5 फरवरी (वीएनआई)| सालाना मुद्रास्फीति की दर पिछले साल दिसंबर में 5 फीसदी के निशान को पार कर गई है और आरबीआई के 4 फीसदी के औसत दर्जे को भी पार कर चुकी है।
ऐसे में व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही है कि बुधवार को होनेवाले वित्तवर्ष 2017-18 की चौथी और आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। वहीं, दूसरी तरफ उद्योग के कुछ हिस्सों में यह चिंता बरकरार है कि मुद्रास्फीति की गति को देखते हुए आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला ले सकता है। वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री ने किसानों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। यह 2019 के चुनावों से पहले वर्तमान सरकार का आखिरी पूर्ण बजट था।
एसोचैम के मुताबिक, आम बजट 2018-18 में कृषि क्षेत्र को समर्पित प्रस्तावों से महंगाई बढ़ सकती है, लेकिन आरबीआई को आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए। एसोचैम ने एक बयान में कहा, "आरबीआई को बांड बाजार से उच्च आय के दबाव व किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संशोधन करने को लेकर ज्यादा प्रतिक्रियाशील नहीं होना चाहिए और सात फरवरी को होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि करने से बचना चाहिए।"
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को अगले वित्तवर्ष के लिए आम बजट पेश करते हुए किसानों को उनकी फसलों की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने की घोषणा की थी। इसके अलावा कृषि क्षेत्र के बजटीय आवंटन में भी पांच फीसदी का इजाफा कर दिया। जेटली ने वित्तवर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे में भी बढ़ोतरी की घोषणा की और कहा कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 फीसदी रह सकता है। इससे पहले राजकोषीय घाटा चालू वित्तवर्ष में 3.3 फीसदी रहने की बात कही गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्तवर्ष के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 4.3 फीसदी से बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर दिया है।
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