नई दिल्ली, 24 जून (वीएनआई) बीते 16 जून को कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से अपने सफर की शुरुआत करने वाली टाइटन पनडुब्बी 18 जून को अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक देखने उतरने के बाद लापता हो गई, जिसके बाद टाइटन पनडुब्बी के नष्ट होने की खबर आने बाद दो अरबपतियों समेत पाँच बड़ी हस्तियों की मौत ने दुनिया को सकते में ला दिया है। हर कोई यही जानना चाह रहा है आखिर पनडुब्बी के साथ ऐसा क्या हुआ जो पाँच लोगो की जान ले डूबी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टाइटन पनडुब्बी का उत्तरी अटलांटिक महासागर में सतह से 2000 मीटर नीचे जाते ही उसका संपर्क कमांड सेंटर से टूट गया था। तभी से इस पनडुब्बी को जोर-शोर से खोजा जा रहा था। वहीं एक विशेषज्ञ का कहना है कि टाइटन पनडुब्बी में हुए विस्फोट के तुरंत बाद उसमें सवार पांच लोग तत्काल मर गए होंगे। वहीं जब टाइटैनिक के मलबे के पास लापता पनडुब्बी का हिस्सा मिला है तो यूएस कोस्ट गार्ड रियर एडमिरल जॉन माउगर ने पुष्टि करते हुए बताया कि टाइटन पनडु्ब्बी की खोज में उसका मलबा मिला है। उन्होंने मलबे को देखने के बाद संभावना जताई कि संभवत विस्फोट पनडुब्बी पर अत्याधिक दबाव पड़ने के कारण हुआ होगा। इस हादसे में मारे गए पांच यात्रियों में से पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश अरबपति शहजादा दाऊद, उनके बेटे सुलेमान दाऊद, ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग, फ्रांस के एक्सप्लोरर पॉल हेनरी और पनडुब्बी का संचालन करने वाली कंपनी ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश शामिल थे।
विशेषज्ञों में से एक ब्रिटिश रॉयल नेवी के पूर्व पनडुब्बी चालक डेविड रसेल का दावा है कि इस पनडुब्बी पर सतह से 290 गुना ज्यादा प्रेशर हल पड़ा होगा। इस कारण पनडुब्बी फट गई होगी। प्रेशर हल वो जगह है, जहां पांचों पर्यटक बैठे हुए थे। गौरतलब है रसेल ने साल 2000 में लापता कुर्स्क पनडुब्बी की खोज में मदद की थी। रसेल का मानना है कि पतवार के फटने का मतलब है कि कैप्सूल में मौजूद लोगों की जान तत्काल चली गई होगी। जबकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र की गहराई में पानी का किसी भी चीज पर दबाव बहुत ज्यादा होता है। यह चार-पांच हजार पौंड प्रति वर्ग इंच तक हो सकता है, जो धरती के मुकाबले 350 गुना ज्यादा होता है। पनडुब्बी में किसी ढांचागत खामी की वजह से, पनडुब्बी उस पर पड़ने वाले बहुत ज्यादा दबाव को झेल नहीं सकी और धमाके में बिखर गई।
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