कम्पाला, 25 जुलाई, (वीएनआई) प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अफ्रीकी देशो के दौरे के दूसरे पड़ाव में आज युगांडा में भारत-युगांडा बिजनस फोरम की बैठक को संबोधित किया। मोदी ने एक तरफ जहाँ युगांडा के विकास में मदद के लिए प्रतिबद्धता दिखाई तो दूसरी तरफ उन्होंने एक चुटकुले के जरिए भारत के प्रतिद्वंद्वी देशों के सस्ते सामान खरीदने के नुकसान भी बता डाले।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत अफ्रीका के संघर्ष काल से की। उन्होंने कहा, 'इतिहास गवाह है जब अफ्रीका संघर्ष काल से गुजर रहा था, किसी देश को युगांडा की फिक्र नहीं थी। युगांडा से जुड़ना मतलब देना ही देना...किसी को फिक्र नहीं थी अफ्रीका के संकट को देखने की। अफ्रीका के दुखों को देखने की। एक अकेला भारत था जो युगांडा के साथ खड़ा था। तब युगांडा से लेना-देना नहीं था लेकिन हमने मानवीय मूल्यों के लिए ऐसा किया।' मोदी ने भारत की मशीनें महंगी होने की वजह बताते हुए एक कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा, 'मैं जब छोटा था तो एक चुटकुला सुना करता था कि एक बस स्टॉप पर गरीब लड़का पंखा बेच रहा था, जो एक रुपये में पंखा दे रहा था। दूसरे वाले ने आठ आने बताया, तीसरा 4 आने में पंखा दे रहा था। एक शख्स ने 4 आने वाला पंखा लिया लेकिन 3-4 बार पंखा हिलाने में ही टूट गया। तो उसने तुरंत पंखा वाले को पकड़ा और बताया। लेकिन पंखा वाले ने जवाब दिया कि मैंने पंखा हिलाने को थोड़ी कहा था, पंखा नहीं मुंडी हिलानी थी।'
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, इसी तरह हो सकता है शुरू में चीजें महंगी हो लेकिन वो लंबे समय तक चलेंगी। सस्ती चीजें खरीदेंगे वो खराब रहेंगी महीनों क्योंकि उन्हें ठीक करने वाला भी उसी देश से लाना पड़ेगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जीरो डिफेक्ट के साथ हम आपको मशीन देने, टेक्नॉलजी देने को तैयार हैं। हां, वो महंगा होगा शुरू में। कोई चिल्लाएगा भी कि ये महंगा है, ये कैसी सरकार है। पहले वाला सस्ता था। लेकिन तय आपको करना है कि पंखा हिलाना है या मुंडी हिलानी है?' इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हम चाहते हैं युगांडा के लोगों में क्षमता विकसित हो, कौशल विकास हो, मानव संसाधन विकास हो। यह सारी वह शक्तियां हैं जो आपसे दुनिया की कोई ताकत छीन नहीं सकती। यह हमारी प्राथमिकता है।'
No comments found. Be a first comment here!