सूखे बुंदेलखंड का नादिया गांव हरा-भरा

By Shobhna Jain | Posted on 22nd Apr 2018 | देश
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टीकमगढ़, 22 अप्रैल | मध्यप्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में यूं तो कई किलोमीटर तक धरती खाली और वीरान खेत नजर आते हैं, मगर टीकमगढ़ जिले के नादिया गांव में अमरचंद प्रजापति के खेतों में हरियाली नजर आती है। यह ऐसा किसान है, जो एक एकड़ में पपीता और सब्जियां उगाकर सालाना पांच लाख रुपये से ज्यादा कमाई में सफल हो रहा है। 

अमरचंद प्रजापति और नाथूराम कुशवाहा मिलकर एक एकड़ जमीन पर पपीता, मिर्ची, टमाटर, बैगन वगैरह की खेती कर खुशहाली की मिसाल बन गए हैं। ये किसान बहुत कम पानी का उपयोग कर अपनी आजीविका चलाने में कामयाब हो रहे हैं। अमरचंद बताते हैं कि उन्होंने एक एकड़ क्षेत्र में 20 से ज्यादा कतारों में पपीता लगाए हैं, वहीं बीच के हिस्से में मिर्ची, टमाटर और बैगन को उगाया है, इससे उन्हें सालाना पांच लाख से ज्यादा की आमदनी हो जाती है। इतना ही नहीं, वे यह सारी फसल बहुत कम पानी का उपयोग कर उगाते हैं। नाथूराम के मुताबिक, वे दिनभर में इन फसलों की मुश्किल से आठ सौ लीटर पानी से सिंचाई करते हैं। उनके ट्यूबवेल में पानी बहुत कम है, इसके बावजूद डिप सिंचाई का उन्हें भरपूर लाभ मिल रहा है। कम पानी में भी वे अच्छी फसल ले रहे हैं।

अमरचंद के खेत में पहुंचकर दूर से पपीते के पेड़ नजर आते हैं और जमीन में काली पॉलीथिन बिछी नजर आती है। पॉलीथिन के नीचे मिट्टी की क्यारी बनी हुई है और उस पर ट्यूब बिछी हुई है। इस ट्यूब से हर पेड़ के करीब पानी का रिसाव होता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और ऊपर पॉलीथिन होने के कारण पानी वाष्पीकृत होकर उड़ नहीं पाता। लिहाजा, कम पानी में ही पेड़ों की जरूरत पूरी हो जाती है। नाथूराम की मानें तो पपीता की अच्छी पैदावार हो तो एक कतार से ही 50 हजार रुपये का पपीता सालभर में निकल आता है। एक एकड़ में बीस कतार हैं, इस तरह अच्छी पैदावार होने पर सिर्फ पपीता से ही 10 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं। इसके अलावा अन्य सब्जियों से होने वाली आय अलग है। अमरचंद और नाथूराम एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वन ड्रॉप मोर क्रॉप' के संदेश को सफल बनाने में लगे हैं, वहीं जैविक खाद का उपयोग करने में भी पीछे नहीं हैं। इन दो किसानों की जोड़ी की तरह अन्य किसान भी कम पानी और डिप एरिगेशन को अपनाएं तो सूखे बुंदेलखंड में किसानों में खुशहाली आ सकती है। 

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