नयी दिल्ली 19 जून( शोभना जैन/वीएनआई) राष्टृपिता महात्मा गांधी और जन्तर ? और वह भी लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद के संग्रहालय मे... जी हाँ ! महात्मा गांधी ने अपने साथियो को दिया था एक बेशकीमती अनूठा जंतर यह था 'स्वराज का एक जन्तर'.इस जंतर मे बापू ने उनसे कहा "मै तुम्हे एक जन्तर देता हूं. जब भी तुम्हे संदेह हो या तुम्हारा अहम तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी अपनाओ,जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिये कितना उपयोगी होगा, क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर का्बू रख सकेगा? यानी क्या उससे उन करोडो लोगो को स्वराज मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे है और आत्मा अतृ्प्त.. तब तुम देखोगे.. कि तुम्हारा सन्देह मिट रहा है और अहम समाप्त होता जा रहा है.."
इसी नाम की पट्टिका के साथ इस जंतर को राजधानी स्थित संसद संग्रहालय मे देखा जा सकता है. संग्रहालय मे बापू की अस्थियो का एक अस्थि कलश रखा गया है,जिसके साथ ही रखी एक पट्टिका पर गांधी जी का एक उ्द्धरण "गांधी जी के जन्तर" के शीर्षक से लिखा गया है. बापू के इस अस्थि कलश के दर्शन को संग्रहालय देखने आये लोग इस जंतर सहित यहा के दौरे को भावयात्रा बतौर देखते है.गुजरात से संग्रहालय देखने आये एक परिवार का एक बेहद मासूम सा सवाल है "स्वराज का यह जन्तर आखिर हमारे ने्ता क्यो नही सीखते ?." पास खड़ा किसी राजनैतिक दल का कार्यकर्ता सा एक युवक कहता है 'वाकई स्वराज का सही अर्थ तो पंक्ति केसबसे आखिरी व्यक्ति के ऑख के ऑ्सू ्पोंछने का ही है.
संसद को जनता के नजदीक लाने के ध्येय से बना्या गया और संसद भवन परिसर मे स्थित यह हाय-टेक संग्रहालय भारत की लोकतांत्रिक विरासत, उसके आज और कल का सजीव चित्रण करता है, टेक्नॉलोजी के जरिये हमारे गौरवशाली इतिहास की पूरी कथा का वाचन होता है, आठ वर्ष पूर्व 14 अगस्त 2008 से खुला यह संग्रहालय आम और खास सभी मे खासा लोकप्रिय है. इसकी हाय टेक पद्धति के जरिये दर्शको को लगता है की वो भी इतिहास के उन पलो मे शामिल है, उन्हे जी रहे है,मानो संविधान सभा की बैठक उनके सामने हो रही है . डांडी मार्च के दृशय को देख कर लगता है जैसे लाठी टेके चल रहे बापू के पीछे पीछे हम भी चल रहे है.
संग्रहालय की हाय- टेक ध्वनि प्रणाली के जरिये 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि पंडित नेहरू के "नियति से निर्धारित मिलन" के ऐतिहासिक भाषण मे उनकी आवाज सुन कर लगता है मानो वे सामने बैठ कर पंडित नेहरू को सुन रहे है.इन सब के साथ डा.बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता मे संविधान बनाने के लिये विचार विमर्श मे जुटी सभा के सजीव दृशय , संसद के केंद्रीय कक्ष मे बैठे डॉ राजेन्द्र् प्रसाद, डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन. इसी के साथ दर्शक जान सकते है कि हमारा लोक्तंत्र का सर्वोच्च विधान मंडल कैसे काम करता है कैसे होती है राज्य सभा, लोक सभा मे महत्वपूर्ण विधाएं तथा अन्य अहम मसलो पर मतदान की मतदान प्रणाली? पहले आम चुनाव यानि आजाद भारत मे पहले आम चुनाव मे मतदान करते आजाद हिंदुस्तानी, ऐसे कितने ही दृशय सजीव रूप से यहाँ दिखाई देते है.संग्रहालय मे स्वन्त्रता संग्राम, ब्रिटिश शासन, अंग्रेजो से सत्ता हस्तांतरण,संविधान सभा, संसद के अन्दर होने वाले विधाई काम काज जैसे कितने ही दृश्यों तथा ऐसे अंशो को दृश्य तथा ध्वनि प्रणाली के जरिये दिखाया गया है, समझाया गया है. इसमे अमरीकी राष्टपति बराक ओबामा द्वारा भारत की संसद को भेंट, अमरीकी संवि्धान संबंधी पट्टिका की प्रति, विभिन्न देशो के शीर्ष नेताओ द्वारा भारत के विभिन्न लोक सभा अध्यक्षो को भेंट स्मृति चिन्ह ,विभिन्न देशो के ध्वज शामिल है, सब इस संग्रहालय मे कुछ न कुछ कहानी कह्ते है.
संग्रहालय के एक प्रवक्ता के अनुसार "जल्द ही इसमे कुछ और खंडों को भी शामिल किया जायेगा जिसमे महिला सशक्तीकरण के बारे मे मल्टी मीडिया प्रदर्शिनी, समाज के पिछडे वर्गो के राष्टृ निर्माण मे योगदान,स्वतंत्रता सेनानी. शहीदो, राष्ट्रीय नेताओ के बारे मे जानकारी के खंड शामिल है. अनेक देशो के शीर्ष नेता, संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत के इस गौरवशाली संसदीय प्रतीक को देखने आते है.
मशहूर गीतकार गुलजार, गजल गायक जगजीत, चित्रा सिंह भी यहाँ आ कर भारत की इस गौरवशाली विरासत के साक्षी बन चुके है.बच्चो मे खास तौर पर् यह हाय टेक संग्रहालय बहुत लोक प्रिय है जहा वह क्लिक की आधुनिक तक्नीक के जरिये अपनी विरासत को देखते है,उ्न पलो को जीते है, अपने इतिहास को जानते है. संग्रहालय देखने आये ऐसी ही एक स्कूली छात्रा के अनुसार " गांधी जी के बारे मे इतना सुना और पढा है, यहाँ आ कर लगा, गांधी जी के पी्छे पीछे मै भी डांडी मार्च मे चल रही हूँ, पंडित ने्हरू का आजादी वाला भाषण सुन कर लगा , देश आजाद हो रहा है,सब कुछ मेरे सामने ही घट रह है. मेरा देश मेरे सामने आजाद हो रहा है सोच कर ही मन गर्व से भर उठा! " उसकी बाते सुन कर कुछ इत्मीनान सा हुआ कि अपनी विरासत को सम्मान देने वाले इन बच्चो से कल आज से भी ज्यादा रोशन होगा संग्रहालाय से बाहर निकलने पर देखा ,संसद भवन के ऊपर चमक राष्ट्रीय ध्वज गौरव से फहरा रहा है और सूरज और तेज रोशनी बिखेर रहा है... वी एन आई