धूप से बचाव के ल‌िये ज़रूरी है सनस्क्रीन

By Shobhna Jain | Posted on 12th Jun 2016 | देश
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नई दिल्ली, 12 जून (वीएनआई) अपनी त्वचा को कालेपन और हानिकारक अल्ट्रावायलट (यूवी) किरणों से बचाने के लिए त्वचा की प्रकृति को समझें और उसके अनुरूप मैट फिनिश और उचित एसपीएफ सनस्क्रीन चुनें। सनस्क्रीन लेते समय सबसे पहला ध्यान जाता है एसपीएफ पर। दरअसल, एसपीएफ एक रेटिंग फैक्टर है, जो बताता है कि कोई सनस्क्रीन क्रीम आपको किस स्तर तक बचाव देती है। दूसरी दुविधा सनस्क्रीन और सनब्लॉक को लेकर है। दरअसल, अल्ट्रावॉयलेट किरणें दो स्तर की होती हैं- यूवीए और यूवीबी, यूवीए किरणों से रंजकता और फोटोएजिंग की समस्या होती है और ये किरणें ज्यादा खतरनाक होती हैं, लंबे समय तक धूप में रहने वाले पर यह ज्यादा असर छोड़ती हैं,जबकि यूवीबी किरणें सनबर्न और फोटो एजिंग के लिए जिम्मेदार होती हैं और त्वचा के कालेपन और त्वचा कैंसर का कारण होती हैं। इसलिए दोनों प्रकार की हानिकारक किरणों से बचाव के लिए ब्रॉड स्पेक्ट्रम कवरेज जरूरी है। यूवीबी सुरक्षा के लिए 'एसपीएफ' और यूवीए के लिए 'पीए' का चिन्ह देखें, यूवीबी से सुरक्षा के लिए कम से कम एसपीएफ 30 और यूवीए सुरक्षा के लिए पीए प्लस प्लस लें। इई के मद्देनज़र एक और पहलू पर ध्यान देनी ज़रूरी है, वह है फिजिकल और केमिकल सनस्क्रीन। फिजिकल सनस्क्रीन का अधिकतम एसपीएफ-20 होता है और इसमें केमिकल भी कम होता है। जबकि केमिकल सनस्क्रीन में 20 से ज्यादा एसपीएफ होता है और इसमें ज्यादा मात्रा में केमिकल होता है। ऐसे में यह ध्यान रखें कि जितना ज्यादा एसपीएफ, उतना ही ज्यादा केमिकल। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि भारत में अल्ट्रावॉयलेट किरणें ज्यादा खतरनाक स्तर की नहीं हैं। इसलिए यहां फिजिकल सनस्क्रीन का यूज काफी है। सनस्क्रीन यूवीबी किरणों को फिल्टर करने का काम करता है, जबकि सनब्लॉक में जिंक ऑक्साइड होता है, जो दोनों तरह की किरणों से त्वचा को बचाता है। त्वचा विशेषज्ञो के अनुसार अपनी त्वचा की प्रकृति को समझें और उसके अनुरूप उचित सनस्क्रीन चुनें। अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो जेल या स्प्रे आधारित सनस्क्रीन चुनें। शुष्क त्वचा वाले लोगों को लोशन या क्रीम आधारित सनस्क्रीन का चुनाव करना चाहिए। यह सूर्य की किरणों से सुरक्षा और नमी दोनों प्रदान करेगी। मैट फिनिश वाली सनस्क्रीन चुनें। इससे आपके चेहरे पर ताजगी बनी रहेगी। पैक पर सामग्री की सूची देखें। सनस्क्रीन में ऑक्सीबेंजोन न हो क्योंकि यह त्वचा के लिए हानिकारक होता है और इससे एलर्जी भी हो सकती है। ध्यान रखें कि सनस्क्रीन जितनी नई होगी, उसका प्रभाव भी उतना ही बेहतर होगा।

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