बेशुमार फायदों से भरी है नाज़ुक ककड़ी

By Shobhna Jain | Posted on 16th Apr 2016 | देश
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नई दिल्ली १६ अप्रैल (वीएनआई) कभी ना्ज़ुकऔर मीठी ककड़ियां बेचने वाले आवाज लगाया करते थे “ मजनूं की उंगलियां ले लो, लैला की पसलियां ले लो...”। हालांकि उनकी आवाज़े आज नही आती पर गर्मी के मौसम में बेशुमार फायदों वाली फल तथा सब्जी ककड़ी आज भी सेहत के लिये उतनी ही मुफीद है, ककड़ी कैल्शियम फास्फोरस सोडियम और मग्नीशियम से भरपूर है,कच्ची ककड़ी में आयोडीन पाया जाता है,, उल्टी, जलन, थकान, प्यास, रक्तविकार, मधुमेह, साथ ही ककड़ी में स्टीरॉल भी पाया जाता है जो बढे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। ।ककड़ी का सेवन इन्‍सुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है। ककड़ी खीरा प्रजाति की ही सब्ज़ी है इसमे 95 प्रतिशेत पानी होता है इसलिये इसके सेवन से शरीर मे हाईड्रेशन नही होता यानि शरीर मे पानी की कमी नही होती, इसमें पर्याप्‍त मात्रा मे फाइबर पाया जाता है, जबकि कैलोरी की मात्रा इसमें नहीं होती। इसके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है । गर्मियों में ककड़ी का सेवन पेट संबंधी रोगों से छुटकारा दिलाने के साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ाता है। यह पित्त से उत्पन्न होने वाले दोषों को भी दूर करती है। ककड़ी खाने से कब्ज़, एसिडिती व सीने मे जलन से राहत मिलती है , बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है। इसके बीज मस्तिष्क की गर्मी को दूर करने में मददगार होते हैं। इसके सेवन से बौखलाहट, चिड़चिड़ापन और उन्माद आदि मानसिक विकार दूर होते हैं। ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मीजन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है। कड़ी का रस निकालकर मुंह, हाथ व पैर पर लेप करने से वे फटते नहीं हैं तथा मुख सौंदर्य की वृध्दि होती है। ककड़ी के बीज पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की त्वचा स्वस्थ व चमकदार होती है। ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।ककड़ी की मींगी मिश्री के साथ घोंटकर पिलाने से पथरी रोग में लाभ पहुंचता है। इसमें सिलिकॉन और सल्फर की मात्रा होती है। सिलिकॉन और सल्फर बालों की लंबाई बढ़ाने में सहायक हैं, इसके रस को बालो मे लगाने से बालो मे गज़ब की चमक भी आती है नज़ीर अकबराबादी ने भी ककड़ी की शान मे यूं कसीदे भी पढे थेः छूने में बर्गे गुल है, खाने में कुरकुरी है। गर्मी के मारने को एक तीर की सरी है। आंखों में सुख कलेजे, ठंडक हरी भरी है। ककड़ी न कहिये इसको, ककड़ी नहीं परी है।

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