नई दिल्ली,22 अप्रैल(वी एन आई) हैरान मत होईये, खबरो के अनुसार,तीस सालों की मेहनत और रिसर्च के बाद आख़िरकार इटली के ेक वैज्ञानिक इस साल के अंत में इंसानी सिर के प्रत्यारोपण यानि ट्रांसप्लांटटृका पहला ऑपरेशन करने जा रहे हैं। इस ऑपरेशन के इंगलेंड में किये जाने की तैयारी हो रही है।
ंईडिया रिपोर्टो के अनुसार इस हेड ट्रांसप्लांट को इटली के न्यूरो सर्जन सर्गिओ कैनवेरो करने जा रहे हैं। रिपोर्टो के अनुसार इस प्रक्रिया पर वे पिछले 30 सालों से मेहनत कर रहे हैं और अब आधुनिक मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी की मदद से वे इस ऑपरेशन को करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
रूस के वेलरी स्पिरिडोनोव इस ऑपरेशन के पहले मरीज होंगे। इकतीस वर्षीय स्पिरिडोनोव एक गंभीर बीमारी के कारण चलने फिरने में असमर्थ हैं। वे पूरी तरह व्हील चेयर पर ही निर्भर हैं लेकिन उनका सर पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने इस ऑपरेशन के लिए अपनी सहमति दे दी है। इस ऑपरेशन के दौरान कैनवेरो उनका सर काटकर किसी ऐसी 'ब्रेन डेड बॉडी' में लगाएंगे जिसकी कद काठी और कुछ जरूरी विशेषताएं उनसे मिलती हो।
यह ऑपरेशन दो भागों, हेवन यानि सिर और स्पाइनल कॉर्ड का ट्रांसप्लांट में किया जायेगा। इस पूरे ऑपरेशन में लगभग 36 घंटे का समय, 10 मिलियन डॉलर और 80 से ज्यादा सर्जन्स की जरूरत प्ड़ने का अनुमान है
रिपोर्टो केअनुसार स्पाइनल कॉर्ड को काटने की प्रक्रिया बेहद जटिल है और इसके लिए एक ऐसा चाकू विकसित कर लिया गया है जो एक मइक्रोमीटर (1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा) को भी नियंत्रण के साथ काट सकता है।
ऑपरेशन में दो टीमें होंगी जो डोनर यानि सिर देने वाला और लेने वाला रिसीवर दोनों पर एक साथ काम करेंगी। दिमाग की कोशिकाओं को मरने से बचाने के लिए सबसे पहले मरीज के ब्रेन को फ्रोजेन किया जायेगा। सर्जरी के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस द्वारा दी गयी $200,000 ( लगभग एक करोड़ 30 लाख रुपए) कीमत की नैनो ब्लेड का प्रयोग किया जायेगा। धमनियों और नसों को सपोर्ट ट्यूब के सहारे रखा जायेगा।
इसके बाद डोनर की स्पाइनल कॉर्ड को काटा जायेगा और फिर दोनों शरीर को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया एक घंटे के अंदर शुरू कर दी जाएगी। इस दौरान डोनर के धड़ को जिंदा रखने के लिए उसमें ट्यूब्स के जरिए ब्लड सर्कुलेशन बनाए रखा जाएगा और कच्चे टांके लगा दिए जाएंगे।
नसों और स्पाइनल कॉर्ड को कोडिंग और मार्किंग के हिसाब से एक विशेष प्लास्टिक सर्जन सिलने और जोड़ने का काम करेगा। जब यह ऑपरेशन पूरा हो जायेगा तब नए बने शरीर को अगले 3 दिनों तक सर्वाइकल कॉलर लगाकर आईसीयू में रखा जाएगा।
हालांकि इस ऑपरेशन के प्रयास को मिल रहे समर्थन को देखते हुए वेलरी स्पिरिडोनोव इस ऑपरेशन को इंग्लैंड में करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अगर किसी काऱण से वहां की सरकार इसकी इज़ाज़त नहीं देती है तो फिर वो इसे किसी और देश में कर सकते हैं।
वेलरी स्पिरिडोनोव के चीनी सहयोगी डॉ. रेन जियाओपिंग, उनके साथ मिलकर हज़ार से अधिक चूहों पर इस तरह का प्रयोग कर चुके हैं और साथ ही पिछले साल उन्होंने एक बन्दर का सफल हेड ट्रांसप्लांट किया था। इसलिए हो सकता है कि इंग्लैंड से इजाज़त न मिलने पर वे अपना ये ऑपरेशन चीन में करें।
हालांकि ऐसा नहीं है कि उनके इस ऑपरेशन पर सवाल नहीं उठाये जा रहे हैं। ट्रांसप्लांट से जुड़े दिग्गजों का कहना है कि कोई भी बॉडी नए ऑर्गन को नहीं अपनाती इसलिए पहले बॉडी के इम्यून सिस्टम को बंद करना होगा लेकिन ऐसा करते ही इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। दिक्कत टेकनोलॉजी को लेकर भी है और अभी तक स्पाइन काटकर दोबारा जोड़ने की कोई सफल टेक्नीक पूरी तरह विकसित नहीं हो पायी है।