नई दिल्ली, 05 अक्टूबर, (वीएनआई) चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायलय में दावा किया कि वोटर लिस्ट में डुप्लीकेसी से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने फर्जी दस्तावेज अदालत में जमा किए।
चुनाव आयोग ने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संबंध में कमलनाथ द्वारा दायर याचिका में फर्जी दस्तावेज दायर कर अनुकूल परिणाम पाने और चुनाव आयोग की छवि खराब करने के प्रयास किए गए। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट में डुप्लीकेसी का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग की तरफ से मामले पर बहस करते हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जस्टिस एके सिकरी की अगुवाई वाली खंडपीठ को बताया कि पार्टी शीर्ष अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रही थी। वकील ने कहा कि इसके लिए याचिकाकर्ताओं को दंडित किया जाना चाहिए। इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 193 है और इसकी गंभीरता से पूछताछ होनी चाहिए। अदालत के समक्ष पेश की गई लिस्ट में तस्वीरें और नाम हैं। विकास सिंह ने कहा कि ईसी की वेबसाइट पर वोटर लिस्ट में मतदाताओं की तस्वीरें नहीं हैं।
सर्वोच्च न्यायलय ने आयोग के दावों पर आपत्ति जताई और चेतावनी दी कि उस कंपनी को बुलाया जा सकता है जिसने कथित रूप से मतदाताओं के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं। वहीं, कोर्ट में चुनाव आयोग के दावों को कांग्रेस ने खारिज किया। पूरे मामले पर कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रमुख कमलनाथ ने कहा कि हम अपनी बातों पर अडिग हैं जो सबूत हमने कोर्ट में जमा किए हैं। कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं और याचिकाकर्ता ने इसे रावत को भी दिया है। वहीं खंडपीठ ने सिंह से मुख्य चुनाव आयोग के कार्यालय से निर्देश मांगने और 8 अक्टूबर को उत्तर देने के लिए कहा।
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