झांसी 28 मई (वीएनआई)उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड से आने वाली ज़्यादातर ख़बरें इन दिनों सूखे, पानी की कमी, भुखमरी, आत्महत्या और पलायन की हैं. सूखे के कारण फ़सलें न होने से किसान परेशान है, पर बुंदेलखंड मे जल क्रांति का झंडा उठा रही जल सहेलियां इन दिनों चर्चा का वि्षय बनी हुई हैं, ये जल सहेलियां पानी की उपलब्धता के साथ उसके संरक्षण का काम कर रही हैं।
एक स्थानीय समाज सेवी संस्थान की मदद से पानी पंचायत और जल सहेलियों का कारवां कई गांव में फैल चुका है। गांव-ब्लॉक के दूसरे निकायों के साथ मिलकर ये जल सहेलियां तय करती हैं कि कहां हैंडपंप लगेगा, कहां तालाब खुदेगा और कहां सिंचाई के लिए चेक डैम की जरूरत है।
पिछले लगभग 5 वर्षों में इन जल सहेलियों ने पुरुष प्रधान समाज के नकारात्मक रवैए के बाद भी गांव में विकास की कहानी गढ़ी है। हालांकि जल सहेलियों का काम आसान नहीं रहा। घर की चाहारदीवारी से बाहर निकलने के लिए उन्हें पुरुषों का विरोध झेलना पड़ा। गांव वालों ने उन्हें नेताजी कह कर मजाक भी उड़ाया, लेकिन आज उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाता है। गांव के प्रधान पानी से जुड़े किसी मुद्दे पर फैसले के पहले पानी पंचायत द्वारा तैयार जल सुरक्षा योजना पर ध्यान जरूर देते हैं।