नई दिल्ली, 10 सितम्बर | भारतीय कॉर्पोरेट जगत फिलहाल पेशेवर बोर्ड और प्रबंधकों को पूर्ण प्रबंधन नियंत्रण देने को तैयार नहीं है, क्योंकि ज्यादातर कॉर्पोरेट कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है, जबकि जिन कंपनियों में हिस्सेदारी इससे कम है वे भी अभी पेशेवरों पर पूरी तरह से दाव लगाने को तैयार नहीं है। एसोचैम द्वारा किए गए मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है। इसमें कहा गया, "पेशेवर कंपनियों और प्रमोटरों द्वारा चलाई जा रही कंपनियों, दोनों तरह की कंपनियों के 155 सीईओ से सर्वेक्षण में जब यह पूछा गया कि क्या प्रमोटर्स स्वतंत्र बोर्ड और सीईओ को कंपनी का पूर्ण नियंत्रण देने को इच्छुक होते हैं? तो उनमें से 78 फीसदी का जवाब नहीं था।"
विश्वास की कमी और परिवार का पूर्ण वचस्व ही दो मुख्य कारक है कि जो भारतीय कॉर्पोरेट जगत में बदलाव को रोकता है। जबकि अमेरिका जैसे देशों में कॉर्पोरेट कंपनियों के रोजमर्रा के परिचालन को प्रमुख शेयरधारकों या शेयरधारकों के समूह से अलग रखा जाता है। अमेरिका समेत अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कंपनियां पेशेवरों द्वारा चलाई जाती है और ऐसा भी नहीं है कि प्रमोटर्स अपनी कंपनियों से बिल्कुल दूर रहते हैं। वहां प्रमोटर्स सीधी दखल के बजाए संस्थागत रास्तों का सहारा लेते हैं, जिसमें मजबूत नियामक, कठिन प्रकटीकरण मानंदडों, कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्च मूल्यों और खुदरा व छोटे निवेशकों की तरफ से दिखाई जानेवाली सक्रियता शामिल है, जो पेशेवर प्रबंधकों को समय-समय पर जवाबदेह बनाए रखती है। प्रतिभागी सीईओ में से 60 फीसदी का कहना था कि प्रमोटरों और पेशवरों के बीच विश्वास की कमी पूर्ण नियंत्रण नहीं सौंपने का एक कारण है, जबकि 75 फीसदी का कहना था कि पेशेवरों को शीर्ष प्रबंधन से दूर रखने के लिए परिवार का प्रभुत्व एक महत्वपूर्ण कारक है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बताया, "एन. आर. नारायणमूर्ति को यह श्रेय देना चाहिए कि इस तथ्य के बावजूद कि उनका प्रयोग एक बार असफल रहा है, वे अभी भी भरोसा करते हैं कि इंफोसिस को पेशेवरों द्वारा ही चलाया जाना चाहिए। शेयरधारकों के लोकतंत्र और कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्च मानकों में उनके दृढ़ विस्वास का फल है कि प्रतिष्ठित नंदन नीलेकणी ने कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभाला है। हालांकि उन्होंने कहा कि पेशेवरों द्वारा बोर्ड चलाया जाए इस महत्वपूर्ण बदलाव के लिए कॉर्पोरेट भारत को प्रोत्साहित करने के लिए अभी कुछ सफल कहानियों की जरुरत है। --आईएएनएस
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