अब आम घरो के नौनिहाल भी दादी नानी वाले ज्ञानवर्द्धक कहानी किस्से सुनेंगे 'मोबाइल एप'से

By Shobhna Jain | Posted on 3rd Aug 2016 | देश
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नई दिल्ली 4 अगस्त(वीएनआई)अब आम घरो/ कमजोर तबके के बच्चे भी दादी, नानी वाले ज्ञान वर्द्धक किस्से कहानी 'मोबाइल एप' से सुन सकेंगे. शुरू मे यह सुविधा दिल्ली के बच्चो को मिलेगी और वे भी सरकारी स्कूल् के बच्चो को.कार्यक्रम के पहले चरण में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के साथ मिलकर इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नगर निगम के 150 स्कूलों की पहचान की गई है। शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ, माता पिता ने इस अनूठी पहल में गहरी रुचि दिखाई। संस्था से जुड़े लोगो, अभिभावको और अनेक शिक्षको के अनुसार यह कार्यक्रम बच्चों मे पढ़ने की आदतें विकसित करने मे बहुत लाभकारी साबित हुआ है और उन्हे उम्मीद है दिल्ली मे भी इसे आशातीत सफलता मिलेगी.कार्यक्रम के प्रायोगिक चरण मे, नई दिल्ली के, 2,00,000 से ज्यादा कम आय वाले परिवारों को इस क्रायकर्म के तहत लाभांवित करने का टारगेट रखा गया है। संस्था ने 2017 तक 20,000 हज़ार पाठकों के साथ साथ माता पिता और बच्चों को प्रोत्साहित करके साक्षरता के इस महाकुंभ में जोडने का लक्ष्य रखा है। विश्व सतर पर शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए काम कर रही संस्था 'वर्ल्डलीडर' ने हाल ही मे दिल्ली में शैक्षणिक जागरूकता कार्यक्रम के तहत यह मोबाइल एप लांच किया। आयोजको के अनुसार अविभावक और अध्यापक अपने मोबाइल फोन के जरिये एक आसान से उपाय को अपना कर फोन पर इंटरनेट ब्राउज़र www.readtokids.com या Google Play Store से "पढ़े बच्चें " एप को फ्री में भी डाउनलोड कर सकते हैं। यह एप्लीकेशन टु-जी इंटरनेट सुविधा से लेस मोबाइल फ़ोन पर भी आसानी से उपयोग किया जा सकता है। वर्ल्ड लीडर संस्था के एक पदाधिकारी के अनुसार कार्यक्रम"बच्चे पढे" के तहत 0 से 6 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों को पढ़ने और सीखने के लिए मोबाइल फोन के जरिए कथा कहानी की किताबो को आम लोग, बच्चों के माता पिता और शिशु शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत लोगों तक पहुंचाने के लिए उपलब्ध करा रहा है। जिसका मुख्य आकर्षण है, कहानियां, चित्रों से युक्त कविताएं लोककथा , नैतिक शिक्षा, प्रकृति और पशु पक्षियों, वर्ण मालाएं शामिल है। किताबें हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में होगी, साथ ही फोटो भी बच्चों को लुभाने के लिए रखे गये हैं। कहानियों के माध्यम से पढाई लिखाई का महत्व बता कर 0 से 6 वर्ष की आयु के बीच के उनके बच्चों को पढ़ने, पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर के तैयार करना है। इस कार्यक्रम से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार भारत में, प्रासंगिक कहानी और अन्य किताबों का अभाव है जो 0 से6 वर्ष की आयु तक के बच्चों में पढने की क्षमताओं को प्रभावित करता है । हाल ही में जारी ए एस इ आर शिक्षा रिपोर्ट के अनुसार 52% कक्षा 5 के बच्चे ही एक दूसरी ग्रेड स्तर की शिक्षा के पाठ को पढ़ने में सक्षम हैं। िस संस्था से जुड़े एक विषेशज्ञ के अनुसार बड़ी संख्या मे स्कूल ड्राप आऊट होने के कारण कम बच्चे ही पांचवीं कक्षा से आगे जा पाते है .हांलाकि स्कूल ड्राप आउट के अलग- अलग कारण है,लेकिन यह भी सच है कि कमजोर तबके ्के स्कूल जाने की उम्र से पहले बच्चों को रोचक और ज्ञानवर्धक कहानियाँ की किताबों की पर्याप्त कमी, जो सीमित संसाधनो के बावजूद बच्चों मे पढ़ने की योग्यता ना विकसित करने मे, एक बडा कारण है। इस कारण बच्चों में पढ़ने और आगे बढने की इच्छा की कमी देखी जा सकती है. इसीलिए बच्चों की कम संख्या प्राथमिक स्कूलो मे हमें दिखती है। संस्था से जुड़े एक कार्यक्रता के अनुसार बच्चों के लिए पाठ्यसामग्री की कमी को देखते हुए एक कदम आगे बढाते, सूचना और तकनीक और गुणवता के सहारे उनकी संस्था एक अनूठी पहल करने जा रहा है। अपनी ई-लाइब्रेरी और मोबाइल ऐप्लिकेशन के ज़रिए लोगों को साक्षर बनाने की पहल उसने की है. उन्होने बताया कि यह कार्यक्रम अमे रिका से होते हुए , अफ्रीका और अब भारत में आ गया है। उन्होने कहा कि मोबाइल का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि मोबाइल आजकल हर घर और लोगो के पास उपलब्ध है। आयोजको के अनुसार " बच्चे पढ़ें " साक्षरता कार्यक्रम एक सामाजिक पहल है ,जिसको पियर्सन सहित अनेक संगठनो के सहयोग से चलाया जा रहा है। वर्ल्ड लीडर संस्था के एक पदाधिकारी के अनुसार यह एक वैश्विक गैर लाभकारी संस्था है जो साक्षरता के प्रचार प्रसार के लिए कटिबद्ध है और ये मानती हैं कि हर कोई हो सकता है एक रीडर । उन्होने बताया कि अपने कार्यकाल के पहले छह वर्षों में, संस्था ने 30 लाखसे अधिक बच्चों, छात्रों और परिवारों को अलग अलग 69 देशों के लोगों को अपने विशाल डिजिटल पुस्तकालय के माध्यम से ई-पाठकों और मोबाइल फोन के जरिए पढ़ने की सामग्री उपलब्ध करवाई है। वी एन आई

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