रियो द जनेरो,22 अगस्त (वीएनआई) इस बार रियो ओलंपिक मे भारत ने सबसे बड़े दल यानि 118 खिलाड़ियो को रियो भेजा लेकिन उसे इस मुकाबले मे एक कांस्य और एक रजत पदक यानि उसे मात्र दो ही पदक मिले ,पदक तालिका मे भारत 67वें स्थान पर रहा, वहीं सबसे अधिक 121 मेडल के साथ अमेरिका ने शीर्ष पर कब्जा जमाया.
रियो ओलिंपिक में रविवार को रेसलर योगेश्वर दत्त के पहले ही राउंड में हारने के साथ ही भारत की गोल्ड मेडल जीतने की आखिरी उम्मीद खत्म हो गयी. इस बार भारत 118 सदस्यीय दल ने ओलिंपिक में हिस्सा लिया भारत की ओर, जो ओलिंपिक इतिहास में सबसे बड़ा दल था.
योगेश्वर 65 किलो फ्रीस्टाइल इवेंट के क्वालिफिकेशन बाउट में मंगोलिया के पहलवान को चुनौती पेश नहीं कर सके और 3-0 अंक से हार गये. भारत से इस बार 118 खिलाड़ी रियो गये थे, जिन्होंने 15 गेम्स में हिस्सा लिया. लेकिन, सिर्फ दो खिलाड़ी ही देश के लिए मेडल हासिल कर सकीं. शटलर पीवी सिंधु ने सिल्वर और रेसलर साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता. यह लंदन ओलिंपिक (2012) से भी खराब प्रदर्शन है. तब 83 खिलाड़ी गये थे और छह मेडल जीते थे. अगला ओलिंपिक 2020 में टोक्यो में होगा.
मुकाबले के लिये गये बड़े नाम हालांकि कुछ कर नही पाये लेकिन ओलंपिक मुकाबले मे पहले बार उतरे सिंधु और साक्षी ने देश को गौरान्वित किया.ट्रैप शूटिंग मे मानवजीत सिंह संधू टेनिस मे लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा रोइंग मे बबन दत्तू,बैडमिंटन मे साइना नेहवाल, अश्विन पोनप्पा, ज्वाला गुट्टा ,रेसलिंग मे नरसिंह यादव (बैन लगने के कारण बाहर),आर्चरी मे दीपिका कुमारी,मेंस शूटिंग मे अभिनव बिंद्रा, जीतू राय, गगन नारंग ,वीमेंस शूटिंगमे हीना सिद्धू जैसे बड़े नाम जिस पर देश उम्मीद लगाये बैठा था, वे चाह कर भी कुछ कर नही कर पाये
116 वर्ष के ओलिंपिक इतिहास में दूसरी बार भारत की लाज महिलाओं ने रखी. सबसे पहले महिला खिलाड़ी के तौर पर वर्ष 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता था. कोई पुरुष खिलाड़ी मेडल नहीं जीत सका था.
भारत तीसरी बार दो मेडल जीतने में सफल रहा. इसके पहले 1900 और 1952 ओलिंपिक गेम में भारत ने दो मेडल जीते थे.
साक्षी भारत की चौथी पहलवान बनी, जिन्होंने कुश्ती से देश के लिए मेडल जीता.
सिंधु और साक्षी की सफलता के बाद पाचवीं बार महिला खिलाड़ी भारत को ओलिंपिक मेडल दिला चुकी हैं.वी एन आई