नई दिल्ली, 3 फरवरी (वीएनआई) लोकसभा में विपक्षी और सत्तारूढ़ सांसदों के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाहीआज दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की बैठक दो बार स्थगित होने के बाद जब अपराह्न् एक बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय को रोज वैली चिट फंड घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा पार्टी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय और तापस पॉल की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाने की अनुमति दी, लेकिन सत्तारूढ़ सदस्यों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। रॉय ने केंद्र सरकार पर बदले की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। इस टिप्पणी से गुस्साए सत्तारूढ़ सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच महाजन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले तृणमूल सांसद अध्यक्ष की आसंदी के पास इकट्ठा हो गए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। महाजन ने प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने और बाद में अपने मुद्दे उठाने की अपील की, लेकिन विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे, जिसे देखते हुए अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही सुमित्रा महाजन ने तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के जे.पी.यादव सहित विभिन्न सदस्यों के स्थगन नोटिस को मंजूरी नहीं दी।
विपक्ष के विरोध के बावजूद सदन की अध्यक्ष ने सूचीबद्ध काम जारी रखे। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के हंगामे के बीच निर्दिष्ट बैंक नोट्स (देनदारियों की समाप्ति) विधेयक पेश किया। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रम भुगतान (संशोधन) विधेयक पेश किया। इन सबके बीच विपक्षी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच महाजन ने सदन की कार्यवाही अपराह्न् एक बजे तक के लिए स्थगति कर दी।
इससे पहले तृणमूल सांसदों ने सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय की गिरफ्तारी के खिलाफ संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। बंद्योपाध्याय और तापस पॉल को सीबीआई ने हाल ही में रोज वैली चिट फंड घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया है। पार्टी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बदले की राजनीति कर रही है। केंद्र सरकार तृणमूल नेताओं को इसलिए प्रताड़ित कर रही है, क्योंकि ममता बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी ने मोदी के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई।