एक जमाने की माओवादी किशोरी छापामार ,अब है दुनिया की हिम्मती शीर्ष धावक

By Shobhna Jain | Posted on 3rd Jan 2016 | देश
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काठमांडू,3 जनवरी (अनुपमाजैन,वीएनआई) मीरा राय,एक नाम जो आज न /न/ केवल. नेपाल की शान है बल्कि इस विश्व प्रसिद्द धाविका ने आज पूरी दू निया को गर्वान्वित कर दिया है. मीरा सपने देखने लगी और इस हिम्मती युवती के सपने सच भी हो रहे है लेकिन आखिर कौन है यह मीरा राय.. कभी नेपाल माओवादियों के साथ एक किशोरी छापामार के रूप में काम करने वाली मीरा राय का नाम आज विश्व के शीर्ष धावकों में गिना जाता है। घोर गरीबी में पली मीरा ने माओवादियों के साथ बचपन में ही बंदूक चलाना, पहाड़ों पर दौडऩा आदि जैसे प्रशिक्षण ले लिए थे पर उसने यह कभी नहीं सोचा था कि ये प्रशिक्षण कभी उसे दुनिया के शीर्ष धावक बनने में मददगार साबित होगे। मीरा मानती ' यह एक सपने जैसा है। मैं एक गांव की लड़की हूं मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी' मीरा एक गरीब किसान की बेटी है वह जब 14 साल की ही थी तभी घर छोड़कर, व्यवस्था बदलने और सरकार को उखाड़ फेंकने की मांग करने वाले माओवादी विद्रोहियों के साथ लड़ाई में शामिल हो गई थी। अब वह 25 वर्ष की हो गयी है मीरा कहती हैं कि हमारे समाज में लड़कियों को बराबर का दर्जा नहीं मिलता है और मैं ऐसे नहीं रह सकती थी. लेकिन उसके और उस जैसे बच्चो के मॉ बाप केपास उन्हें स्कूल पढने भेजना तो दूर दो जून की रोटी देना भी दूर की बात थी, इन तमाम हालात में बदलाव के लिए कुलबुलाती मीरा चाहती थी गरीबी दूर हो, महिलाओ को भी बराबरी का दर्जा मिले, सभी को भर पेट रोटी मिले, बच्चियों लडके सभी पढ़े । मीरा के अनुसार, उसे माओवादियो के पास आ कर लगा की महिलाओं को समान अधिकार मिलेंगे जो उसे इस समाज में नहीं मिल पप रहे थे । वहां महिलाएं लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर रहती हैं। इसलिए वह वहां खुद को सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करती थी। शुरूआत में राय के पास प्रशिक्षण के लिए पैसे नहीं थे इसलिए वह सड़कों पर ही दौड़कर अभ्यास करती थी। पिछले वर्ष जून में फ्रांस के चामोनिक्स में हुई 80 किमी की मोंट ब्लांक रेस में उन्होंने रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन करते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ा। उन्होंने दूसरे धावकों से 22 मिनट पहले यह रेस खत्म की। इस जीत ने उन्हें लंबी दूरी की महिला धावकों में दूसरे स्थान पर ला खड़ा किया और उसकी जिंदगी ही बदल दी। पहली बार राय ने मार्च 2014 में रेस में हिस्सा लिया था। यह50 किमी की रेस राय ने पहाड़ी रास्तों पर लगाई थी। इनाम के तौर पर उन्हें एक जोड़ी नए जूते मिले थे। अभी तक राय 20 रेसों में हिस्सा ले चुकी है और 13 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। आज मीरा की हालत बेहतर है उसके भाई बहिन पढ़ पा रहे है , उसके मो बाप भाई बहिनो को पेट भर रोटी मिल रही है . खेल का सामान बनाने वाली फ्रोस की एक कंपनीअब उसकी स्पोंसर बन गयी है, वह बड़ी बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का सपना देखने लगी है, और मीरा के सपने तेजी से पूरी भी हो रहे है..सच मीरा सपने देखोगी तभी वे पूरे होंगे. ...वी एन आई

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