'नन्ही छाँव '-स्त्री पुरुष समानता की जद्दोजहद के बीच एक उम्मीद

By Shobhna Jain | Posted on 1st Oct 2015 | देश
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नई दिल्ली,1 अक्टूबर( अनुपमा जैन,वीएनआई) स्त्री पुरुष समानता की जद्दोजहद के बीच उम्मीद जगाती एक खबर.एक स्वयंसेवी संगठन की पहल पर देश भर के स्कूली बच्चो ने समाज मे स्त्री पुरुष समानता का झंडा बुलंद करते हुए िस दिशा मे समाज मे तेजी से बदलाव लाने के लिये काम करने के लिये कदम बढाये है.स्वयंसेवी संगठन 'नन्ही छाँव' द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्कूल निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से भारत के 23 राज्यों के 100 से ज्यादा स्कूलों के लगभग 15,000 युवाओ ने लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता की अलख जगाने का संकल्प लिया है नन्ही छाँव फाउंडेशन द्वारा विज्ञप्ति के अनुसार भारत मे प्रति 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं, यूएनडीपी के लैंगिक असमानता सूचकांक में 152 देशो ंमें 127 वें स्थान पर रहने और विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में 142 देशों 114 वें स्थान पर रहने वाले हमारे देश मे लैंगिक समानता के मोर्चे पर विफल रहा है। स्वतंत्रता के 6 दशक बाद भी देश कन्या भू्रण हत्या, शिशु हत्या, दहेज प्रथा, बलात्कार, महिला साक्षरता का अभाव, जाति असमानता, रूढि़ वादिता से लेकर मातृ मृत्यु दर जैसी सामाजिक कुरीतियो ंसे अंतहीन लड़ाई लड़ रहा है। फाउंडेशन के अनुसार इस असंतुलन को दूर करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए न्यास ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए एक युवा दस्ते को तैयार किया है, जो इस मामले में हस्तक्षेप के समर्थन में सामने आकर आने वाले समय में अधिक कन्या संगत समाज का सृजन कर सकेंगे। इस महती विचार को ध्यान में रखते हुए नन्ही छाँव फाउंडेशन की ओर से कक्षा 10वीं और 11वीं के छात्रों के लिए राश्ट्र व्यापी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसका राजधानी के वसंत वैली स्कूल वसंत कुं्ज की काम्या यादव विजेता और डीपीएस वसंत कुं्ज की सौम्य मल्होत्रा दूसरे स्थान पर रही। प्रतियोगिता की पुरस्कार राशि 8 लाख रुपये शीर्ष 15 प्रतिभागियों के बीच बांटा गया, इसके साथ ही कई आकर्षक पुरस्कार भी प्रदान किए गए। राश्ट्रीय स्कूल निबंध प्रतियोगिता के जरिए नन्ही छाँव देश के युवाओं को भारतीय समाज की विसंगतियों के बारे में षिक्षित करने की कोशिश की है। न्यास के अनुसार ह अपनी तरह की पहली पहल का मकसद भारत में सामाजिक मसले पर दबाव के लिए जागरूकता लाना है। भारत को जिन सामाजिक बुराइयो ंका सामना करना पड़ रहा है, उसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक छोटा आधार तैयार करने के लिए आयोजित नन्ही छाँवँ स्कूल निबंध प्रतियोगिता का यह दूसरा साल है लेकिन इसमें भारत के 23 राज्यों के 100 से ज्यादा स्कूलो ंने प्रतिभागिता की। इस साल इस प्रतियोगिता का मकसद लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता लाना था. परिचर्चा के दौरान असाधारण वाकपटुता के साथ युवाओ ने नेतृत्वकारी गुणो ्का परिचय दिया। निर्णायक मंडल (जूरी) में शामिल जानी-मानी हस्तियों-वसंत वैली स्कूल की चेयरपर्सन श्रीमती रेखा पुरी, आॅर्टेल कम्युनिकेशंस की संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक व ओटीवी की निदेषक श्रीमती जगगी पांडा, एनआईआईटी के चेयर मैन श्री राजिंदर पवार और पीडब्ल्सूसी इंडिया की मार्केट्स लीडर श्रीमती भारती गुप्ता रामोला युवा प्रतिभाओं के समाज में बदलाव करने और इन प्राालियों को नियमों की तरह अनुसरण करने और की मांग करने के ज्ञान और जिज्ञासा को देखकर अभिभूत हुईं। इस पहल के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नन्ही छाँव के चेयरमैन श्री हरपाल सिंह ने कहा, ‘‘नन्ही छाँव में हमे ंइस साल निबंध प्रतियोगिता में बच्चों की प्रतिभागिता को देखकर बेहद खुशी हुई। इस साल 23 राज्यों के 100 से ज्यादा स्कूलों के 15000 से अधिक छात्रो ंने हिस्सा लिया और लैंगिक समानता के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। निबंध की गुणवत्ता बेहतरीन थी और इस बात की सहज उम्मीद जगी कि देष का भविष्य कुशल हाथों में है। अगले साल हमें प्रतिभागियों की संख्या तिगुनी होने की उम्मीद है और साथ ही इसमें अन्य देशों के स्कूलों को भी शामिल किया जाएगा।’’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्कूली शिक्षा सचिव डॉक्टर सुभाष चन्द्र खूंटिआ कहा कि स्कूली बच्चों को सुन्कर भरोसा है की यह बच्चे अपने नन्ही सोच के साथ हमारे देश को मजबूती देंगे ताकि हमारे समाज में एक समानता रहे. मैं नन्ही छाँ फाउंडेशन को बधाई देता हूँ की उन्होंने इतना अच्छा अवसर दिया जिसके कारण ही जेंडर इक्वालिटी फॉर आल स्टेकहोल्डर्स (सोशल सेक्टर, पॉलिसी मेकर, बडे पैमाने में सच्चो और कॉर्पोरेट) पर चर्चा हो सकी। विज्ञप्ति के अनुसार गर्भ में होने के समय से ही लड़कियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और यह जीवन के हर स्तर पर जारी रहता है हमे ंनिश्चित तौर पर भारत में 225 मिलियन लड़कियों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें एक ऐसी दुनिया देनी चाहिए, जहां वे सपने देख सकें, आकांक्षा पूरी कर सकें और उड़ान भर सकें, और जहा ंमहिलाओं को समान वेतन मिले, स्वस्थ्य और शिक्षा की समान पहुंच हो और समान मानवीय गरिमा के साथ जीवन जी सकें। लैंगिकसमानता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रशासन, नीति-निर्माताओं, सामाजिक क्षेत्रों सहित सभी हित धारकों और देश के नागरिकों के गंभीर प्रयास और ठोस कार्रवाई की जरूरत है। नन्ही छाँव फाउंडेशन के बारे मेंः नन्ही छाँव फाउंडेशन एक गैर-लाभ कारी संगठन है, जिसका गठन देष के सामाजिक एजेंडे पर तीन महत्व पूर्ण मसलों-प्रतिकूल लैंगिक अनुपात, पर्यावरण ह्रास और धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा देना, के मकसद से किया गया है।वी एन आई

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