लंदन,१४ मई (वी एन आई)पिछले दिनो भारत इंगलेड,अमरीका,रूस सहित ९९ देशो के कम्प्यूटर मे ्डली जानकारी हेक करने के जरिये फिरौती मॉगने की घटनाये सामने आने के बाद दुनिया भर मे हड़कंप मच गया है. इस तरह के हादसे रोकने के लिये सक्रियता बढ गई है.परसो एक अजीब मामला इंग्लैंड में सामने आया था। एक अनोखे साइबर हमले ने उनके कंप्यूटर सिस्टम को अपंग बना दिया था। अनगिनत अपॉइंटमेंट की बुकिंग और एम्बुलेंस को फिर से डाइवर्ट किया गया। ये उस हमले का नतीजा था जिसके कारण उनका उनके पूरे कंप्यूटर सिस्टम से नियंत्रण हट चुका था। सारे अपॉइंटमेंट तत्काल रद्द किये गए और एम्बुलेंस को वापस डाइवर्ट किया गया लेकिन नुक्सान हो चुका था और कुछ ही घंटों में अन्य देशों के दर्जनों शहरों में यह समस्या फ़ैल गयी। यह बड़े पैमाने पर हुआ रैंसमवेयर अटैक था।
प्रसिद्ध कुरीयर सर्विस कंपनी फेडक्स भी इसकी चपेट में आ चुकी है और उनके विंडोज बेस्ड सिस्टम में भी भारी मात्रा में बाहरी हस्तक्षेप हुआ और ग्राहकों को परेशानी उठानी पड़ी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की भले ही हाल में बड़ी ऑर्गनाइजेशन पर बड़े पैमाने पर यह हमला हुआ है लेकिन रैंसमवेयर का खतरा आपके निजी कंप्यूटर पर भी अक्सर मंडराता रहता है।
आखिर यह रैंसमवेयर अटैक है क्या ?
यह एक तरीके का मैलवेयर है जो किसी व्यक्ति, बिज़नेस या अन्य संगठनों के बेहद गोपनीय डाटा की जानकारी को लॉक करके, पैसों की चोरी के लिए बनाया गया है। कल्पना करिये कि आपके घर पर किसी और ने ताला लगा दिया है और आपको अपने ही घर में जाने के लिए उसे पैसे देकर चाभी लेनी है- यही रैंसमवेयर है। आपके घर पर ताला लगाने के साथ वह आपकी तिजोरी और अन्य जरूरी फाइलों को भी लॉक करके सकता है। यही कम्प्यूटर के सन्दर्भ में भी है।
आप अपना कंप्यूटर ऑन करते हैं तो एक रैनसम यानि की फिरौती का एक सन्देश आता है जिसमें लिखा रहता है, आपका डाटा एन्क्रिप्टेड हो चुका है और साथ ही यह निर्देश भी रहता है क़ी इसे ठीक करने के लिए भुगतान कैसे करें।
दुखद यह है कि हैकर्स के लिए रैंसमवेयर, पैसे कमाने का एक बड़ा तरीका बन चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि रैंसम के जरिये कुछ सौ डॉलरों से लेकर हजारों, लाखों डॉलर तक निकाले जा सकते हैं जिसके लिए आमतौर पर भुगतान "वर्चुअल (आभासी) " मुद्रा बिटकॉइन का प्रयोग किया जाता है जिसका पता लगाना लगभग असंभव है। आमतौर पर जितना ज्यादा आप इंतज़ार करते हैं इस फिरौती की रकम बढ़ती ही जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, रैंसमवेयर अटैक के मामलों में पिछले दिनों गज़ब की तेजी आयी है। मैलवेयर से जुडी घटनाओं में लगभग 72 प्रतिशत हिस्सेदारी रैंसमवेयर की रही है ।
बीते शुक्रवार को हुए इस हमले ने यूके के 25 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान को प्रभावित किया था लेकिन एनएचएस का कहना है कि यह हमले का विशिष्ट लक्ष्य नहीं था। संगठन के अनुसार, ऐसा नहीं लगा कि मरीजों से जुडी सूचनाओं का प्रयोग किया गया हो, लेकिन मामले की जांच अभी प्रारंभिक दौर में है।
बैर्ट्स हेल्थ, जो लंदन और अन्य जगहों के प्रमुख अस्पतालों का प्रबंधन करते हैं, ने यह भी पुष्टि की कि यह "प्रमुख आईटी संस्थाओं में सेंध" लगने जैसा है।
इस घटना में मैलवेयर ईमेल द्वारा एन्क्रिप्टेड फ़ाइलों के रूप में पहुंचा था और एक बार जब कोई कंप्यूटर इसका शिकार हो गया तब उन्हें मरीजों से जुडी हुई जानकारियों को पुनः प्राप्त करने के लिए बिटकॉइन में लगभग 300 डॉलर का भुगतान करने का मैसेज मिलने लगा था।
मरीजों के बारे में जरूरी जानकारियां लॉक हो जाने से डॉक्टर को मरीज की दवाइयों और सही स्थिति की जानकारी मिलनी बंद हो जाती है और ऐसे में इलाज असंभव हो जाता है और डॉक्टरों को अपने अपॉइंटमेंट फिर से करने पड़ते हैं। इसके परिणाम स्वरुप उन्हें करोड़ों रूपए का नुक्सान उठाना पड़ रहा है। हॉस्पिटल या अन्य संस्थाएं अपने नुक्सान को कम करने के लिए रैनसम का भुगतान कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि हर प्रकार की जरूरी सूचनाओं का एक बैकअप रखा जाये।
्समाचार एजेंसी सीएनएन ने उनके सामने 99 देशों के आंकड़े रखे थे। ऐसी घटनाएं यूएस में भी हो चुकी हैं और ऐसी ही एक घटना में हॉलीवुड प्रेस्बिटेरियन मेडिकल सेंटर ने अपने कम्प्यूटर को अनलॉक करने के लिए रैनसम को 17000 डॉलर दिए थे। \
रैनसमवेयर आता कैसे है ? आमतौर पर यह एक "फ़िशिंग" ईमेल के द्वारा आता है जो यूजर्स को एक दूसरी साइट पर जाने का लालच देता है जिसपर जाते ही आपका कंप्यूटर संक्रमित हो जाता है। या फिर ये आप ऐसे किसी मेल की अटैच्ड फाइल को खोल देते हैं तो भी आपका कम्प्यूटर संक्रमित हो सकता है।
आप खुद के कंप्यूटर की सुरक्षा के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं -
किसी भी लिंक को यूं ही बिना सोचे और समझे क्लिक न करें। इसकी जगह आप दिए गए वेब एड्रेस को सीधे अलग विंडो पर टाइप करके उस साइट तक पहुंचें।
किसी भी अज्ञात अटैचमेंट को भी न छेड़ें।
किसी भी अनऑथोराइज्ड साइट पर न जाएं। ऐसी साइट्स पर जाने से, जो पाइरेटेड मूवी और अश्लील सामग्री प्रदान करती हैं, आपका कंप्यूटर संक्रमित हो सकता है।
कभी भी कोई भी सॉफ्टवेयर सिर्फ इसलिए इंस्टॉल न करें की कोई वेबसाइट आपसे ऐसा करने को कह रही है।
अपने जरूरी डेटा की हमेशा एक बैक अप कॉपी अलग से रखें। आप इसके लिए क्लाउड बेस्ड बैक अप डिवाइस का भी प्रयोग कर सकते हैं।