कृषक

By Shobhna Jain | Posted on 23rd Dec 2017 | देश
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कृषक

घनघोर वर्षा हो रही, है गगन गर्जन कर रहा,

घर से निकलने को गरज कर, वज्र वर्जन कर रहा।

तो भी कृषक मैदान में करते निरंतर काम हैं,

किस लोभ से वे आज भी, लेते नहीं विश्राम हैं।

मैथली  शरण  गुप्त

 

 

  

  

 

 


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