मुलेठी, सिर्फ गले की खराश या खांसी के लिये ही नही,पेट और अन्य रोगो मे भी है बहुत कारगर

By Shobhna Jain | Posted on 4th Oct 2016 | देश
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नई दिल्ली,4 अक्टूबर (अर्चनाउमेश/वीएनआई)मुलेठी- दादी ,नानी जिसे अक्सर गले में खराश हो या खांसी की राम बाण दवा बताते हुए इनका इस्तेमाल करने की सलाह देती थी, और इस मुलेठी चूसने से बहुत राहत भी मिलती है। इसके अलावा भी मुलेठी में कई ऐसे गुण हैं, जो शायद आप पहले नहीं जानते होंगे। मुलेठी सिर्फ गले की खराश और खांसी के लियेही नही इसके प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। यह स्‍वाद में मीठी होती है इसलिए इसे यष्टिमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहते हैं। इसका औषधि के रूप में प्रयोग बहुत पहले से होता आया है। मुलेठी पेट के रोग, सांस संबंधी रोग, रोगों को दूर करती है। ताजी मुलेठी में पचास प्रतिशत जल होता है, जो सुखाने पर मात्र दस प्रतिशत ही शेष रह जाता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है। मुलेठी को काली-मिर्च के साथ सेवन से कफ आसा्नी से बाहर निकल जाता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है। अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्‍यास शांत होगी। गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्‍छे स्‍वर के लिए भी प्रयोग की जाती है। मुलेठी पेट के रोगो के लिये भी बहुत फायदेमंद मानी जाती है. आयुर्वेद के अनुसार मुलेठी पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है। हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है। मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है। वी एन आई

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