लंदन/नई दिल्ली,20 जनवरी ( साधना अग्रवाल/वीएनआई ) फेसबुक के बढ़ते क्रेज में एक ख़ास खबर इसके 'स्टेटस ' के बारे में ...लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट 'फेसबुक' युवाओं में काफी लोकप्रिय है लेकिन एक अध्ययन से पता चला है कि लोग अपने दोस्तों को यानी 'फेस-टू-फेस फ्रेंड' फेसबुक फ्रेंड से ज्यादा विश्वसनीय मानते है.
"रॉयल सोसाइटी ओपेन साइंस" नामक जर्नल में फेसबुक फ्रेंडशिप पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार किसी भी इंसान के मित्र की संख्या सीमित हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा दिमाग एक निश्चित संख्या 100-200 लोगों की मित्रता को ही संभाल सकता है. इसे "सोशल ब्रेन हाइपोथिसिस " के नाम से जाना जाता है.इस ग्रुप साइज के रिश्ते को बनाए रखने के लिए भी पर्याप्त समय की जरूरत होती है.इसमे कहा गया है दोस्तों के बीच हाव भाव भी दोस्ती बयान करने में अहम रहते है जो ऍफ़ बी में नहीं हो पाटा है .
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबिन डनबर ,द्वारा किये गये शोध से पता चला कि मित्रता को बनाये रखने के लिए समय -समय पर फेस-टू-फेस बातचीत होना जरुरी है. 3,000 युवक के बीच किये गये इस रिसर्च के बारे में डनबर ने बताया कि सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग के कई सकारात्मक-नकारात्मक असर होते हैं.
रिसर्च में यह भी पता चला है कि टीनएजर्स अपने मित्रता के दायरे को बढ़ाने के लिए अन्य नेटवर्किंग माध्यम वी चैट, इंस्टाग्राम जैसे माध्यमों से ज्यादा फेसबुक का इस्तेमाल करते है. हालांकि प्रोफेसर रॉबिन डनबर ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया काफी हद हमारे रिश्ते को बनाये रखने में मदद करता है.