रतनपुर,सीकर,राजस्थान (वीएनआई)'अपना हाथ जगन्नाथ' की कहावत रतनपुरा गांव के लोगो ने हकीकत मे चरितार्थ कर दिखाई, पिछले कई वर्षों से एक नाला पूरे गांव के लिये परेशानी का सबब बना हुआ था,नार नाले के नाम से जाना जाने वाले इस रास्ते से जीप, कार या ऊंट गाड़ी गुजर रही होती और सामने से दूसरा वाहन आ जाता तो उसे साइड देने के लिए दूर तक एक वाहन को पीछे जाना पड़ता था । इन गांव वालों के दर्द को कोई महसूस करने वाला नही था, पर इन्होने सिस्टम से लड़ने की बजाय अपने ही जुनून से मात्र आठ दिन में 8 से 9 फीट गहरे नाले को पाटकर पांच किमी लंबा और 20 फीट चौड़ा रास्ता बना दिया, इस रास्ते को बनाने में दो जेसीबी लगी, सौ किसानों ने श्रमदान किया और कुल ढाई लाख का खर्चा आया। शायद इनके प्रेरणा स्त्रोत पर्वत हिलाने की कहावत को चरितार्ह करने वाले बिहार के दशरथ मांझी ही होंगे जिन्होने अकेले 22 सालों में सिर्फ़ हथोड़े और छैनी से पहाड़ काटकर रास्ता बना डाला और 70 किलोमीटर की दूरी को एक किलोमीटर में समेट दिया।
बताया जा रहा है कि रास्ता बन जाने से दस ढाणियों के तीन हजार लोगों की जिंदगी आसान हो जाएगी। हालांकि इस समस्या के निदान के लिये जनप्रतिनिधियों जिनमे सरपंच से लेकर विधायक तक थे, से कई बार गुजारिश की गयी पर आश्वासन के बावजूद कोई भी राह न दिखने लोगों ने बाबा मोहनदास जी महाराज के स्थान पर बैठक कर अपने स्तर पर ही रास्ता चौड़ा करवाने का निर्णय लिया। किसान मुरलीधर जीतरवाल, बक्साराम, सुण्डाराम सहित करीब सौ किसानों ने नौ नवंबर 2015 से जेसीबी लगवाकर काम शुरू कर श्रमदान किया। अथक प्रयास के बाद रास्ते को खेतों के बराबर समतल कर 20 फीट चौड़ा रास्ता बना दिया है। इस रास्ते के लिए लोगों ने अपने खेतों की जमीन भी दे दी।
अब गांव वालों की ख्वाहिश है कि उनके द्वारा बनाए गए रास्ते का शुभारंभ कलक्टर करे, इस इ्च्छा को लेकर वे कलक्टर और सीओ से भेंट करेंगे। एक किसान के अनुसार रास्ते के लिए सौ किसानों ने अपनी भूमि सहमति पत्र के साथ दी है।