पटना 27 अक्टूबर ( अनुपमा जैन,वीएनआई) बिहार चुनाव के लिए तीसरे चरण के छह जिलों की कुल 50 विधानसभा सीटों पर बुधवार को मतदान होना है. कुल 5 चरण में दो चरण के लिए मतदान हो चुका है, जबकि तीसरे चरण के लिए कल भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच वोट डाले जाएंगे। वैसे तो किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए जो चुनाव में भाग ले रही हो हर चरण महत्वपूर्ण होता है, लेकिन लालू के लिये कल का मतदान बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि लालू के दोनो बेटों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कल ही होगा,हालांकि बीजेपी के लिए यह भी चरण ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि बीजेपी उम्मीदवार तीसरे चरण की 50 में से 34 सीटों पर किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि 16 सीटों पर एनडीए में उसकी सहयोगी पार्टियों ने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि कि 2010 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने इन 50 में से 43 (जेडीयू-23, बीजेपी-20) सीटों पर कब्जा जमाया था और अन्य 7 सीटें आरजेडी के खाते में गई थीं, लेकिन इस बार दोनों तरफ सहयोगी बदल गए हैं। 2010 में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने नालंदा जिले की 7 सीटों पर कब्जा जमाया था और इस इलाके को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गढ़ माना जाता रहा है।
बिहार चुनाव के लिए तीसरे चरण के छह जिलों की कुल 50 विधानसभा सीटों पर बुधवार को जिन जिलो मे मतदान होना है वे हैं- सारण, वैशाली, भोजपुर, बक्सर, पटना और नालंदा. जहां कल 45,93, 980 मतदाता 808 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. उम्मीदवारों की सर्वाधिक संख्या पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में हैं. वहीं, सबसे कम प्रत्याशी भोजपुर के अगिआंव सुरक्षित में है. उधर, मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र दीघा व सबसे छोटा क्षेत्र सारण का अमनौर है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार तीसरा और चौथा चरण भाजपा के लिए बेहद अहम है
लालू के दोनो बेटे वैशाली जिले की दो विधानसभा सीटों के लिये चुनाव लड़ रहे हैं, उल्लेखनीय है कि प्राचीन काल में वैशाली से ही लिच्छवी साम्राज्य ने विश्व के पहले लोकतंत्र की नींव रखी थी। यह अलग बात है कि आज यह धरती लोकतंत्र में परिवारवाद को भी झेल रही है।
1.लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप इसी जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट से अन्य उम्मीदवारों मे , रवीद्र राय (हम), और जागेश्वर राम (जअपा) भी हैं पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव का मुख्य मुकाबला हम के रवींद्र राय से है जो पिछले चुनाव में जदयू के टिकट पर राजद को हराकर जीते थे. उस दौर के राजद प्रत्याशी जागेश्वर राय आज लालू प्रसाद से नाराज होकर इस बार जन अधिकार पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनको मिलकार इस बार महुआ विस सीट से कुल 28 दलीय-निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी एवं अपनी बेटी मीसा भारती के साथ तेज प्रताप के लिए क्षेत्र में कैंपेन कर रही हैं.
2. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी राघोपुर सीट से चुनाव मैदान मे हैं अन्य उम्मीद्वारों मे सतीश कुमार यादव (भाजपा) और राकेश रौशन (जअपा) ्हैं
वैशाली ज़िले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र को बिहार का वीआईपी क्षेत्र माना जाता है. यहां 15 साल तक लालू–राबड़ी का राज रहा. तेजस्वी को राजद सुप्रीमो के उत्तराधिकारी के तौर पर माना जा रहा हैं. इस सीट के लिए लालू प्रसाद खुद चुनावी कमान संभाले हुए है. गौर्तलब है कि तेजस्वी का मुकाबला पिछले चुनाव में राबड़ी देवी को हराने वाले भाजपा के सतीश कुमार से है. पिछली बार वे जदयू से चुनाव लड़े थे. खास बात यह है कि यादव व राजपूत बहुल इस क्षेत्र में दोनों एक ही जाति यादव से आते हैं. इस क्षेत्र में कुल 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. पर एक हकीकत यह भी है कि यादव बहुल राघोपुर वीआईपी क्षेत्र होने के बावजूद विकास के सभी मानकों में सबसे नीचे है, कुछ लोग तो राघोपुर को मिनी श्रीलंका पुकारते हैं .राघोपुर दियारा को बाहरी दुनिया से सिर्फ़ नदी जोड़ती है. राघोपुर के दियारा क्षेत्र के लोगों के लिए सात महीने तक आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही है। नाव से ही यहां के लोग पटना और हाजीपुर जाते हैं। हालत यह है कि यहां की नावों पर मोटरसाइकिल और ऑटो भी लदे मिल जाएंगे। गंगा और गंडक नदी से घिरे राघोपुर में नदी पार करने के लिए पुल नहीं है. और आज भी यहां सबसे बड़ा मुद्दा पुल है. दिसंबर से जून तक राघोपुर दियारा को पीपा पुल से जोड़ा जाता है. इन छह महीनों में ही राघोपुर में शादियां होती हैं.