नई दिल्ली 20 जून (अनुपमा जैन,वीएनआई) रमज़ान का पाक महीना आ गया है. घरो मे मस्जिदो मे इबादत हो रही है, श्रधालु रोजा रख रहे है, बाजार सज चुके है, बाज़ारो में रौनक बढ़ गयी है. पुरानी दिल्ली सहित बाजारो में लोग \'सहरी\' की तैयारी में खरीदारी करते दिखे, शाम ढलते बाजारो मे लोग खाने की दुकानो पर रोजा खोलते नजर आते है.जामा मस्जिद के आसपास के बाज़ारों में सहरी के लिए तरह-तरह की सेवई, फेनी, खजले की दूकानें सज चुकी हैं.जहा तहा पर्दानशीं मुस्लिम महिलाये घर परिवार के लिये कपड़े और अन्य सामान खरीदते नजर आती है
िस मौके पर टोपियो की खरीदारी भी खासी बढ गयी है, चीन, अफगानिस्तान, टर्की की टोपियों की खासी मांग है. 20 रूपये से लेकर 500 रूपये की टोपियां बिक रही हैं.
इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक, पवित्र रमजान का महीना अल्लाह की रहमतों व बरकतों से भरा हुआ है यह महीना मुस्लिम समाज का सबसे पवित्र माह होता है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना होता है। रमजान के दौरान मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं। इस दौरान वे न खाना खाते हैं और न पानी पीते हैं। वे शाम में ही रोजा खोलते हैं और नमाज अदा कर अल्लाह से दुआ मांगते हैं। एक मौलाना के अनुसार इस्लाम धर्म में अच्छे इंसान को बखूबी परिभाषित किया गया है। इसके लिए मुसलमान होना ही काफी नहीं, बल्कि बुनियादी पांच कर्तव्यों को अमल में लाना आवश्यक है। पहला ईमान, दूसरा नमाज, तीसरा रोजा, चौथा हज और पांचवां जकात। इस्लाम में बताए गए इन पांच कर्तव्य इस्लाम को मानने वाले इंसान से प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा हमदर्दी की प्रेरणा स्वतः पैदा कर देते हैं।
मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है।
रमजान के बारे में पैगंबर-ए-इस्लाम फरमाते हैं कि अगर इंसान को यह मालूम होता कि रमजान क्या चीज है तो मेरी उम्मत यह तमन्ना करती कि पूरे साल रमजान हो। रमजान महीने का पहला अशरा (दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत व तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का है।
एक वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु के अनुसार पवित्र रमजान माह में एक ऐसी रात होती है जो हजार महीनों से अफजल है। इसे शब-ए-कद्र की रात कहा जाता है। हदीस में कहा गया है कि शब-ए-कद्र को रमजान माह की आखिरी दस दिनों की ताक रातों 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं रात को तलाश करना चाहिए। अधिकांश आलिम 27वीं रब को शब-ए-कद्र मानते हैं।
उन्होने कहा कि रमजान में रोजदारों को सहरी खाना चाहिए। अल्लाह व उसके फरिश्ते सहरी के खाने वालों पर दुरुद भेजते हैं। रोजा बदन की जकात है। हर मुसलमान रमजान में रोजा रखे और अल्लाह की इबादत करे।
रमजान के मुबारक मौके पर दुनिया भर मे सभी धर्मावंलंबी मुस्लिम भाई बहिनो को शुभकामनाये व बधाई दे रहे है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्विटर पर रमज़ान की शुभकामनायों का एक ट्वीट किया था, \"रमजान का पवित्र महीना शुरू होने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को मेरी ओर से शुभकामनाएं। रमजान सभी के जीवन में शांति एवं खुशहाली लाए। साथ ही यह पवित्र महीना समाज में सौहार्द और एकजुटता बढ़ाए।
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने भी रमजान के मौके पर दुनियाभर के मुस्लिमों को बधाई देते हुए कहा कि रमजान गहन चिंतन, इबादत, करुणा और सामुदायिक भावना का महीना है।
कैरी ने कहा, हर स्थान पर मौजूद मुस्लिमों के लिए यह विशेष महीना आध्यात्मिक बल मुहैया कराता है। यह सार्वभौमिक मूल्य- मानवता के मूल्यों को दिए जाने वाले महत्व को बढ़ावा देता है। अपनी शुभकामनाएं देते हुए कैरी ने कहा, रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत के मौके पर मैं सभी मुस्लिमों को एक आनंदपूर्ण रमजान करीम के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
कैरी के अनुसार , यह समय जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सभी धर्मों के लोगों की जिम्मेदारी के बारे में चिंतन करने का भी है। वे जरूरतमंद लोग, जो गरीबी में फंसे हैं और बर्मा, इराक, लीबिया, नाइजीरिया, सोमालिया, सीरिया और यमन जैसे देशों में संघर्षों के पीड़ित हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि रमजान सामुदायिक भावना की खूबसूरती को भी दर्शाता है जब लोग एक साथ रोजा खोलते हैं, इबादत करते हैं और एक साथ काम करते हैं।