टोक्यो, 27 अप्रैल (वीएनआई) भारतीय चुनाव की गहमागहमी से दूर, सुदूर जापान में भारतीय मूल के एक व्यक्ति ने पहली बार वहा असेंबली चुनाव जीत लिया हैं.हार से वे निराश नही हुए लेकिन हौंसला बनाये रखा और आगे बढते गये. 1997 में पुणे से शिक्षा के लिये जापान जाने वाले योगेंद्र पुराणिक ने टोक्यो के एदोगावा वॉर्ड से जीत हासिल की है.साल 1997 और 1999 में सरकारी स्कॉलरशिप पर एक छात्र के नाते जापान आए थे और फिर 2001 में उन्होंने यहीं पर काम करना शुरू किया था.पुराणिक के वॉर्ड ने "लिटल इंडिया" नाम से कार्यक्रम शुरू किया था लेकिन वे मानते हैं कि यह कार्यक्रम जैसा उन्होंने कल्पना की थी उस तरीके से कार्य रूप नही ले रहा था.लेकिन वे जानते थे कि इस कार्यक्रम से काफी काम किया जा सकता हैं, लिहाजा उन्होंने लोगों से विचार विमर्श करके अपने लक्ष्यों पर पुनर्विचार करके उन्हें व्यावहारिक बनाने का प्रयास किया. लेकिन फिर भी इस कार्यक्रम के वांछित नतीजें नही निकले तब उन्हें लगा कि शिकायत करने के बजाय अंदर जाकर ख़ुद बदलाव करने चाहिए." और यहा से शुरू हुई एक यात्रा.
योगेंद्र बताते हैं कि वह पिछले 15 सालों से टोक्यो के इदोहावा में रह रहे हैं. वो कहते हैं, "जापान में चुनाव बड़े ही सुव्यवस्थित होते हैं. राजनीति में आने या फिर चुनाव लड़ने के लिए नए शख़्स को काफ़ी जानकारियां दी जाती हैं. बहुत सारा काग़ज़ी काम होता है और फ़ंड का पूरा हिसाब-किताब रखना होता है."
"प्रचार अभियान बहुत ही शिष्टता से होता है. सभी उम्मीदवार एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और किसी पर कीचड़ नहीं उछालते. अभियान के दौरान घर पर लोगों के आने या निजी मुलाक़ातें करने की इजाज़त नहीं होती. वॉलंटियर्स मुफ़्त में काम नहीं कर सकते."
वे लगातार यहा के स्थानीय मसले उठाते रहे हैं, चुनाव में भी उन्होंने यहां की स्थानीय समस्याओं ्को उठाया. वे कहते हैं "क्रेश और किंडर गार्टन न होना, पब्लिक स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर, नौकरियों के घटते अवसर और बुज़ुर्गों के लिए सुविधाओं की कमी जैसे कई समस्याये लंबे समय से थी, उन का प्रयास यही रहा हालात सुधरे .इदोगावा में भारतीय और विदेशी बड़ी संख्या में रहते हैं. उन का कहना हैं कि अब वे जीत कर यहा के आधारभूत ढॉचे ्को सुधारना चाहते हैं
उन्होंने कहा, "यहा का आधार भूत ढॉचा खासा पुराना है, वे इस में सुधारने का प्रयास करेंगे. इस तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने से जापान और विदेश की कंपनियों यहां बड़े पैमाने पर आ सकती हैं" वे कहते हैं कि वह अगली बार मेयर का चुनाव लड़ना चाहेंगे और उसके बाद सांसद का. मगर कहते हैं कि पहले इदागोवा के लिए कुछ करना चाहते हैं.
पुराणिक मानते हैं चुनाव लड़ना उन के मुश्किलों भरा रहा."वे इस बात को ले कर आश्वस्त नही थे कि चुनाव जीतेंगे ्लेकिन स्थानीय संगठनों में सक्रियता, भारतीय समुदाय का सहयोग, मेरा रेस्तरां, इदोगावा इंडिया कल्चर सेंटर सभी ने मदद की. और इस मे साथ ही मेरे गाइड और मौजूदा सांसद अकिहीरो हत्सुशीका और मेरी टीम ने शानदार काम किया. मुझे लगता है मेरे भाषणों से लोगों में विश्वास जगा."
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भविष्य में भारत आकर राजनीति में शामिल होना चाहेंगे, उन्होंने कहा, "नहीं, अभी तो मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है. मैं राजनेता नहीं हूं. मैं इसे सुधार करने वाले अधिकारी की नौकरी समझता हूं और विकास पर काम करना चाहता हूं.निश्चित तौर पर मैं असेंबली में राजनीति करने नहीं जा रहा."
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