जब भी बसता है कोई मेरी उम्मीद का गाँव
अगले ही पल उजाड़ दिया गया है मेरी उम्मीद का गाँव…….
मेरे हाल पर हंस कर दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहे थे किनारे खड़े मेरे दोस्त
इधर बीच मझधार में हिचकोले के रही थी मेरी नाव…….
मेरे सफ़र का मतलब है धूप का रास्ता
सुना है दुनिया को सफ़र में मिलते है दरख़्त ,मिलती है छावं…….
हों इंसानी इरादे, मनसूबे या हों ख्वाब
हर चीज़ को मिटटी में मिला देता है शातिर दुनिया का एक दावं
बच्चों की मांग गरीब को बाज़ार ले जाती है
और गरीब को खाली हाथ घर वापस ले आते हें बाज़ार के भाव
सुनील जैन
No comments found. Be a first comment here!