बहुत बड़ा था उसका गुनाह
उसने अपनी भूख की बात की
जब चल रही थी रईसों की महफ़िल
ना किसी के अश्कों से पिघलती है
ना किसी के गम से हमदर्दी
बेहिसाब कर रही है छल
दुनिया है बड़ी पत्थर दिल
आस्तीनों में ज्यादा रहते हें सांप यूँ
तो बस्ती में बहुत हें बिल
तहजीब की इमारत की मर्रम्मत कैसे होगी
जब दीवार नहीं, बुनियाद गयी है हिल
मत प़ूछये हालत मुल्क के नौजवानों की
पा के तालीम घर बैठे हें ना रोज़ी है ना रोज़गार हासिल
चाँद सितारों का सफर भी करो
आसमानो की बुलंदियां भी छूओ
पहले जमीं को बना दो रहने के लायक
इसे बना दो रहने के काबिल
कोंक्रीट के जंगल में जिन्दगी से जद्दो जहद
करता हुआ आदमी रोज़ मरता है तिल तिल
सुनील जैन
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