नई दिल्ली, 09 नवंबर, (वीएनआई) रूस की राजधानी मॉस्को में आज अफगानिस्तान मुद्दे पर होने वाली बैठक में भारत पहली बार इतिहास में आतंकी संगठन तालिबान के साथ अनाधिकारिक तौर पर वार्ता करेगा।
विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार एक बहुपक्षीय मीटिंग के दौरान भारत इस वार्ता का हिस्सा होगा। हालांकि भारत की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि यह उसकी हिस्सेदारी 'गैर-अधिकारिक' स्तर पर होगी। सरकार ने इसके साथ ही भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि शांति के सभी प्रयासों का नेतृत्व और नियंत्रण अफगान लोगों के हाथ में होने चाहिए। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में शांति कायम करने के मकसद से रूस इस वार्ता की मेजबानी कर रहा है। रूस की ओर से कई देशों जैसे अमेरिका, पाकिस्तान और चीन के साथ भारत को भी इसका आमंत्रण दिया गया है। वहीं तालिबान भी इस मीटिंग का हिस्सा होगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा, हमें पता है कि रूसी प्रशासन 9 नवंबर को मॉस्को में एक बैठक की मेजबानी कर रहा है।' उन्होंने कहा भारत ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करता है जिससे अफगानिस्तान में शांति और सुलह के साथ एकता, विविधता, सुरक्षा, स्थायित्व और खुशहाली आए। भारत की यह नीति रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व, अफगान-मालिकाना हक और अफगान-नियंत्रित होनी चाहिए और इसमें अफगानिस्तान की सरकार की भागीदारी होनी चाहिए। हमारी हिस्सेदारी गैर-अधिकारी स्तर पर होगी। वहीं विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव अमर सिन्हा, अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रहे हैं और टीसीए राघवन, पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त के तौर पर कार्यरत रहे हैं। ये दोनों ही इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
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