वाशिंगटन, 9 मई (वीएनआई)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह अपने देश को ईरान परमाणु समझौते से अलग कर रहे हैं। ट्रंप की इस घोषणा के बाद दुनियाभर में तनाव व्याप्त हो गया है और इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद मध्य पूर्व में हथियारों की दौड़ तेज होने का खतर बढ़ सकता है। ईरान और छह अन्य वैश्विक शक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने को राजी हुआ था और बदले में ईरान पर लंबे समय से लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। ट्रंप ने व्हाइट हाउस से टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में अमेरिका के इस समझौते से अलग होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह ईरान के खिलाफ परमाणु हथियारों से संबंधित प्रतिबंधों में ढील देने के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और समझौते के तहत तेहरान पर से हटाए गए प्रतिबंधों को दोबारा लागू करेंगे। ट्रंप ने साथ ही कहा कि अमेरिका ईरान के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले देशों के खिलाफ भी कड़े प्रतिबंध लगाएगा।
ट्रंप ने ईरान और संयुक्त समग्र कार्ययोजना (जीसीपीओए) के नाम से जाने वाले परमाणु समझौते की फिर से आलोचना करते हुए कहा कि यह समझौता ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने या क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने से रोकने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, "समझौते के कमजोर प्रावधान पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। अगर मैंने इस समझौते को बनाए रखने की इजाजत दी तो जल्द ही मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो जाएगी। ईरान के परमाणु हथियारों के निर्माण के साथ ही हर देश अपने हथियार तैयार करना चाहेगा। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका तेहरान पर बेहद कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि जो भी देश परमाणु हथियार बनाने में ईरान की सहायता करेंगे अमेरिका उन पर भी कड़े प्रतिबंध लगाएगा।
व्हाइट हाउस ने बाद में कहा कि ट्रंप ने अपने प्रशासन को जेसीपीओए से संबंधित प्रतिबंध फिर से लगाने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने का निर्देश दिया है। ईरान और छह वैश्विक शक्तियों अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस, फ्रांस और जर्मनी के बीच जुलाई 2015 में वियना में ईरान परमाणु समझौता हुआ था। ट्रंप के इस समझौते से अलग होने के फैसले से विश्व भर में तनाव व्याप्त हो गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने ट्रंप के इस फैसले पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका के इस फैसले से फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन निराश हैं। मैक्रों, मर्केल और थेरेसा मे ने ईरान परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कायम रखने की बात दोहराते हुए कहा है कि यह समझौता हमारी साझा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वॉशिंगटन स्थित हथियार नियंत्रण संघ ने भी ट्रंप के फैसले की आलोचना की है।
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