सीडब्ल्यूएस ने कहा भारत और इंडोनेशिया शार्क पकड़ने पर प्रतिबंध लगाएं

By Shobhna Jain | Posted on 23rd Oct 2017 | विदेश
altimg

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (वीएनआई)| अमेरिका स्थित वन्यजीव संरक्षण सोयायटी (सीडब्ल्यूएस) का कहना है कि विलुप्तप्राय जीव वनमानुष, ह्वेल व शार्क मछली, गरुड़ और गिद्ध को बचाने के लिए दुनियाभर में बेहतर सुरक्षा के उपाय करने की जरूरत है। भारत और इंडोनेशिया को शार्क मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाना चाहिए।

फिलीपींस की राजधानी मनीला में 23 से 28 अक्टूबर तक चलने वाले संयुक्त राष्ट्र वन्यजीव सम्मेलन के पहले सीडब्ल्यूएस ने भारत से मछली पालन के उस तरीके को बंद कर देने को लेकर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। इस सम्मेलन में 120 से ज्यादा देश हिस्सा लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय नीति मामलों को देख रहे सीडब्ल्यूएस की उपाध्यक्ष सुसैन लिबरमन ने ईमेल के जरिये एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा कि शार्क मछली पकड़ने व निर्यात करने वाले बड़े देश के रूप में भारत और इंडोनेशिया को शार्क मछली पकड़ने व अन्य प्रजातियों की मछलियों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कड़े कानूनों का प्रावधान करना चाहिए। शार्क की कई प्रजातियां खतरे में हैं और अत्यधिक मछली मारने व अनियमित मछली पालन होने की वजहों से ये प्रजातियां लुप्तप्राय होने लगी हैं। लिबरमन ने कहा कि भारत को कड़ी कार्रवाई करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सागर तटीय मछली पालन स्थायी तौर पर चले। 

भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों के प्रतिनिधि प्रवासी प्रजातियों को लेकर होने वाले पक्षकारों के बीच होने वाले समझौते की 12वीं बैठक यानी सीएमएस सीओपी 12, प्रवासी जंतु प्रजातियों के लिए विशेष अंतर्राष्ट्रीय समझौते में हिस्सा लेने के लिए फिलीपींस में इकट्ठा होंगे। सम्मेलन में सुपरिचित प्रजातियां जैसे- वनमानुष, जिराफ, तेंदुआ, शेर, ह्वेल शार्क की रक्षा समेत वन्य जीवों की सुरक्षा के मद्देनजर कई प्रस्ताव रखे जाएंगे।  128 देशों में गिद्धों की पंद्रह प्रजातियां लुप्तप्राय हो चुकी हैं। इनमें चार भारत में लुप्तप्राय हैं। ये प्रजातियां 12 साल में फिर से देखने को मिलेंगी और इस सम्मेलन में उनके संरक्षण के लिए बहु-प्रजाति समन्वित कार्ययोजना तैयार की जाएगी। सीएमएस सीओपी 12 में हिस्सा ले रहे लिबरमन ने बताया कि अवैध शिकार व व्यापार के चलते कई जीव प्रजातियां खतरे में हैं और इसका असर प्रवासी और गैर-प्रवासी दोनों तरह की प्रजातियों पर देखने को मिल रहा है।  मशहूर जीव प्रजातियां, जो खासतौर से अवैध शिकार व व्यापार की वजहों से खतरे में हैं, उनमें हाथी, गैंडा, बाघ, साल, कछुआ, स्वच्छ जल में पाए जाने वाला कछुआ, तोता व बहुरंगी तोता शामिल हैं।  उन्होंने कहा, "हम वनमानुष, ह्वेल शार्क, गरुड़ और गिद्ध को सूची-1 में शामिल करने के लिए प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। डब्ल्यूसीएस गैंडे की सींग के व्यापार का विरोध करता है, क्योंकि यह अवैध है और इससे अफ्रीका और एशिया में गैंडे के अस्तित्व को खतरा है। 

अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार पर पिछले 25 साल से ज्यादा समय से कार्य कर रही लिबरमन ने बताया कि कुछ लोग सींग के व्यापार की अनुमति देने की बात कर रहे हैं, लेकिन हमारे विश्लेषण से जाहिर है कि इससे फिर अवैध व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और गैंडे के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से गैंडे की सींग के अवैध व्यापार को प्रभावकारी ढंग से रोकने के लिए चीन और वियतनाम जैसे देशों की सरकारों की ओर से किए प्रयास कमजोर होंगे। सीएमएस सीओपी 12 के एजेंडे के अनुसार अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में पाए जाने वाले ह्वेल शार्क की रक्षा व संरक्षा के लिए फिलीपींस, इजरायल और श्रीलंका की ओर से संयुक्त रूप से प्रस्ताव आए हैं। भारत उन 121 देशों में शामिल है, जहां ये प्रजातियां पाई जाती हैं और इनकी आबादी लगातार घटती जा रही है। सम्मेलन के आयोजकों ने बताया कि प्रवासी पक्षियों को मारने पर रोक लगाने के लिए भी अंतर-सरकारी टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day:
Posted on 22nd Dec 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india