उतार-चढ़ाव भरे सफर का लुत्फ उठाया है : बोमन ईरानी

By Shobhna Jain | Posted on 29th Nov 2017 | मनोरंजन
altimg

नई दिल्ली, 29 नवंबर | बॉलीवुड अभिनेता बोमन ईरानी एक जाना-पहचाना नाम है। 57 वर्षीय अभिनेता ने 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' और '3 इडियट्स' जैसी फिल्मों में अपनी शानदार अभिनय क्षमता से दर्शकों का दिल जीता है। 

सफलता के मुकाम पर पहुंचने से पहले बोमन ने संघर्ष का स्वाद भी बखूबी चखा है। उन्होंने मुंबई के ताज महल होटल में वेटर की नौकरी करने से लेकर, बीमा पॉलिसी बेचने और फोटोग्राफी का भी काम किया। उनका मानना है कि जिंदगी में उतार-चढ़ाव के बिना कामयाबी नहीं मिलती और इन्होंने इसका लुत्फ उठाया है। बोमन हाल ही में गुरुग्राम में आयोजित 'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास' का हिस्सा बने। वह जल्द ही जॉन अब्राहम के साथ फिल्म 'परमाणु' में नजर आने वाले हैं। बोमन ने फिल्म में अपने किरदार के बारे में पूछे जाने पर बताया, मैं एक ब्यूरोक्रेट का रोल निभा रहा हूं। यह जो ब्यूरोक्रेट है, वह फिर से पोखरण परमाणु परीक्षण को अंजाम देना चाहता है। चूंकि वह वाजपेयी सरकार में ब्यूरोक्रेट रहा था, इसलिए वह इस विचार को फिर से मूर्त रूप देना चाहता है और वहां जो शुरुआत होती है..तो जॉन अब्राहम और उनकी टीम उसे करने निकलते हैं।

फिल्म में जॉन के साथ काम करने के अनुभव के बारे में बोमन ने कहा, "मैंने जॉन के साथ बहुत साल पहले 'लिटिल जिजु' नामक एक फिल्म की थी। फिर 'दोस्ताना' और 'दन दना दन गोल' में काम किया और चूंकि वह को-प्रोडयूसर हैं इस फिल्म में..तो उन्होंने ही मुझे फोन किया और जॉन बहुत फोकस्ड इंसान हैं। जो आइडियाज और जो रूट वह लेते हैं..उनका तरीका बहुत अच्छा है और एक दोस्ती है। जब मैं फोटोग्राफर था और वह मॉडल थे, तब से उन्हें जानता हूं। वह हाफ ईरानी भी हैं। जॉन की मां ईरानी हैं, हमारी कम्युनिटी की ही हैं तो, हालांकि वह मेरे रिश्तेदार नहीं हैं, लेकिन मैं उनके पूरे परिवार को जानता हूं। यह पूछे जाने पर कि जीवन में इतने संघर्ष के बाद वह अपने अब तक के सफर को किस रूप में देखते हैं? उन्होंने कहा, "देखिए कोई भी सफर बस सफर होना चाहिए, कभी-कभी लोग बोलते हैं कि हमें जल्द से जल्द कामयाब बनना है, मैं उन सब चीजों को मानता नहीं हूं। मैं मानता हूं कि उतार-चढ़ाव के बिना कामयाबी होती ही नहीं है। मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक दिन कामयाब हो गए और फिर कुछ मेहनत नहीं की तो उस सफर का क्या फायदा ? मैंने उतार-चढ़ाव के इस सफर का लुत्फ उठाया है, मैंने चढ़ाव के बजाय उतार से ज्यादा सीखा है। चढ़ाव आनंद लेने के लिए और उतार सीखने के लिए होता है।

बोमन का मानना है कि संघर्ष सुधार लाता है। उन्होंने कहा, "संघर्ष का मतलब आपको निराशा महसूस कराना नहीं, बल्कि आप में सुधार लाना है। संघर्ष का मतलब आपके दिल में कुछ करने की उमंग जागने से है। इसके बिना मुझे लगता है कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे सकते। फिल्मों में आने के बाद भी बोमन शौकिया तौर पर फोटोग्राफी करते हैं।  उन्होंने कहा, मैं आज भी फोटोग्राफी करता हूं। हमेशा कैमरा लेकर घूमता हूं, लेकिन पेशेवर तौर पर नहीं, अब शौकिया फोटोग्राफी करता हूं। क्या किसी खास किस्म के किरदार की तलाश है? उन्होंने कहा, "रोल हम ढूंढ़ते रहेंगे और वह रोल नहीं आएगा, तो एक हिसाब से यह अच्छा ही है। क्योंकि अगर वह रोल मिल जाता है तो हम सोचते हैं अच्छा चलो ठीक है, मेरे दिल की इच्छा पूरी हो गई, इसलिए मैं किसी खास भूमिका की तलाश में नहीं रहता, अगर कोई बोले यह रेडीमेड रोल है, मैं करूंगा तो उसमें मेहनत क्या रह गई? रोल को हमें यूनिक खुद बनाना चाहिए, अगर कागज पर रोल यूनिक नहीं है तो हमें मेहनत करके उस रोल को यूनिक बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

बोमन का कहना है कि वह अपने करियर से संतुष्ट तो हैं, लेकिन ज्यादा संतुष्ट नहीं, क्योंकि उन्हें बहुत कुछ सीखना है, और बहुत कुछ करना है। संतुष्ट होकर वह अपनी रफ्तार धीमी नहीं करना चाहते हैं। फिल्मों के प्रति लगाव के बारे में उन्होंने कहा, "बचपन से तो कहीं न कहीं रुझान था, लेकिन एक हिसाब से अच्छा हुआ जो थोड़ा देर से आया। मैंने जो कुछ जिंदगी में सीखा, उन सब अनुभवों को मैने अभिनेता बनने के बाद इस्तेमाल किया। मैं अपने आपको एक तरह से खुशनसीब समझता हूं। कई लोगों को लगता है कि मैं अभिनय में देर से आया, लेकिन मुझे लगता है कि मैं बिल्कुल सही समय पर आया। अभिनेता का मानना है कि जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं होता। आप एक फिल्म करो या सौ। सौ फिल्म के बाद भी उतनी ही मेहनत होनी चाहिए। कामयाब होने के बाद और ज्यादा मेहनत करनी चाहिए। बोमन इस मुकाम पर पहुंचने में परिवार के योगदान को याद करते हैं। वह कहते है, "आपके पास ऐसे लोग होने चाहिए, जो गुस्सा आने पर आपको शांत कराएं, जो आपको फैसले लेने में सहयोग करें। पैसों के लिए आपको गलत फैसले लेने पर मजबूर नहीं करें। मानवीयता बरकरार रखने में परिवार की अहम भूमिका होती है। 'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास' को उन्होंेने एक अच्छी पहल बताया। इससे लोगों को कलाकारों व बड़ी हस्तियों के जीवन के उतार-चढ़ाव व अनुभवों को जानने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी गॉसिप मैगजीन पढ़ने के बजाय अगर यह सुने तो बहुत अच्छी बात है।  -आईएएनएस


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

वहीदा रहमान
Posted on 14th May 2015
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india