संगीतकार ओ.पी.नैय्यर के जन्मदिन पर

By Shobhna Jain | Posted on 16th Jan 2018 | मनोरंजन
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16  जनवरी  1926  को  प्रसिद्ध  संगीतकार  ओ.पी.नैय्यर  का  जन्म  हुआ ,उनका   निधन  28  जनवरी  2007  को  हुआ 

आर−पार, सी. आई. डी., तुमसा नहीं देखा आदि एक के बाद एक लगातार हिट फ़िल्में देते हुए ये सिने जगत में सबसे महंगे संगीतकार बने। 1950 में एक फ़िल्म में संगीत देने के 1 लाख रुपये लेने वाले पहले संगीतकार थे। “नया दौर” इनकी सबसे लोकप्रिय फ़िल्म रही। इस फ़िल्म के लिए उन्हें 1957 में फ़िल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला। सिर्फ़ कुछ ही फ़िल्मों में अपनी कला का लोहा मनवा देने वाले ये संगीतकार ज़िद्दी और एकांतप्रिय स्वभाव के कारण भी चर्चा में रहे। कुछ लोग इन्हें घमंडी, दबंग और निरंकुश स्वभाव के भी कहते थे, हालाँकि नये एवं जूझते हुए गायकों के साथ ये बहुत उदार रहे। पत्रकार हमेशा से ही इनके ख़िलाफ़ रहे और इनको हमेशा ही बागी संगीतकार के रूप में पेश किया गया। पचास के दशक के दौरान आल इंडिया रेडियो ने इनके संगीत को आधुनिक कहते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया और इनके गाने रेडियो पर काफ़ी लंबे समय तक नहीं बजाए गये। इस बात से उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ बल्कि वे अपनी धुन बनाते रहे और वे सभी देश में बड़ी हिट रही। उस समय सिर्फ़ श्रीलंका के रेडियो पर ही इनके नये गाने सुने जा सकते थे। बहुत जल्दी ही अंग्रेज़ी अख़बारों में इनकी तारीफ के चर्चे शुरू हो गये और इन्हें हिन्दी संगीत में उस्ताद कहा जाने लगा, तब ये बहुत जवान थे।[2]

गीता दत्तआशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी के साथ इन्होंने सबसे ज़्यादा काम किया। मोहम्मद रफ़ी से अलग होने के बाद ओपी महेंद्र कपूर के साथ काम करने लगे। महेंद्र कपूर जी ओपी के लिए दिल से गाते थे। उनकी आवाज़ और एहसास की गहराई ने ओपी के गानों में भावनाओं को उभारा और लोगों के दिलों तक ओपी के विचारों की गहराई पहुँचाई। आशा भोंसले के साथ ओपी ने लगभग सत्तर फ़िल्मों में काम किया। सिने जगत के लोगों ने आशा भोंसले को उनकी ही खोज बताया। ऐसा लगता था कि नैय्यर साहब आशा जी के लिए विशेष धुन बनाते हों, जिन्हें आशा बिना किसी मेहनत के गा लेती। ओपी ने लता मंगेशकर जैसी सुर सम्राज्ञी के साथ कभी काम नहीं किया। ये सिने जगत में हमेशा ही चर्चा का विषय रहा। ओपी कहते थे कि उनके गाने लता की आवाज़ से मेल नहीं खाते। वे ज़्यादातर पंजाबी धुन के साथ मस्ती भरे गाने बनाते थे। लेकिन मुकेश के द्वारा गाया हुआ बहुत गंभीर गाना ‘चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला’ ओ. पी नैय्यर की चहुँमुखी प्रतिभा को दर्शाता है[]

 


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