नई दिल्ली 6 मार्च (वीएनआई )क्या सिनेमा सिर्फ मनोरंजन है, या इसका समाज पर असर भी पड़ता है? यह बहस एक बार फिर गर्म हो गई है मलयालम फिल्म 'Marco' (2024) को लेकर, जिसे भारत की सबसे हिंसक फिल्मों में से एक बताया जा रहा है। पहले ही CBFC (सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) ने इसके सैटेलाइट राइट्स को अस्वीकार कर दिया था, और अब यह फिल्म OTT से भी हटाने की मांग कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार CBFC के क्षेत्रीय अधिकारी नदीम तुफली ने इस मामले को सीधे सरकार तक पहुंचाने की अपील की है। उनका कहना है कि फिल्म को पहले ही A सर्टिफिकेट दिया गया है और माता-पिता को अपने बच्चों को इसे देखने से रोकने के लिए सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा, "CBFC का काम केवल सर्टिफिकेशन तक सीमित है, सेंसरशिप हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है। लेकिन हमने इसे पारिवारिक दर्शकों के लिए अनुपयुक्त मानते हुए सैटेलाइट प्रसारण से रोका है।"
गौरतलब है कि फिल्म को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी अपनी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी फिल्मों से प्रभावित होकर युवा वास्तविक जीवन में भी हिंसा की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फिल्म के मुख्य अभिनेता उन्नी मुकुंदन ने इन आरोपों को ्स्वीकार न करते हुए करते हुए कहा, "हम हिंसा से इनकार नहीं कर सकते, क्योंकि यह समाज का हिस्सा है। हमारी सभ्यता ने शांति भी युद्धों के बाद ही प्राप्त की है। अगर हम यह मानें कि Marco हिंसक है, तो हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि वास्तविकता कहीं अधिक भयानक है।"
आप्की जानकारी के लिये बता दें कि Marco, जिसे हनीफ अदेनी ने लिखा और निर्देशित किया है, एक नियो-नॉयर एक्शन थ्रिलर है। कहानी एक खतरनाक अपराधी मार्को की है, जो अपने अंधे गोद लिए भाई विक्टर की हत्या के बाद खूनी बदला लेने निकल पड़ता है।
फिल्म पहले ही सिनेमाघरों में आ चुकी है और SonyLIV पर स्ट्रीम हो रही है, लेकिन अब यह देखना होगा कि CBFC की अपील के बाद OTT पर इसकी किस्मत क्या होगी? क्या यह महज एक फिल्म है, या वाकई हमारे समाज को प्रभावित करने वाली कड़ी? यह बहस अभी बाकी है...
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