नई दिल्ली, 8 दिसंबर (वीएनआई)। प्रख्यात गीतकार व शायर फरहत शहजाद अपनी चुनिंदा गजलें व शेर सुनाकर बीते रविवार की शाम श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके शेर . 'आगे सफर था और पीछे हमसफर था! रुकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..' को काफी वाहवाही मिली।
गैर-सरकारी संगठन साक्षी की अध्यक्ष डॉ. मृदुला टंडन की मेजबानी में शीर्षक 'सोच से साज-ओ-आवाज' के तहत सजी एक शाम में जहां सोच, साज व आवाज का बखूबी ताल-मेल देखने सुनने को मिला, वहीं उपस्थित हर श्रोता शायराना रंग में डूबा नजर आया। यहां के इंडिया हैबिटेट सेंटर में रविवार की शाम मौसिकी की एक महफिल सजी और तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाही का समां रोके नहीं थमा।
जाने-माने गीतकार व शायर फरहत शहजाद व देश-विदेश में अपने गायन से वाहवाही लूट चुके शकील अहमद ने मंच पर अपने कला-कौशल का बखूबी परिचय दिया और कुछ अनसुने नगमों, नज्मों व गजलों को श्रोताओं तक पहुंचाया। फरहत शहजाद की शेर-ओ-शायरी, गजल का अंदाज व बोल ने कहीं प्रेमी-प्रेमिका के अद्भुत रिश्ते को उजागर किया तो कहीं जीवन के पहलुओं से श्रोताओं का अभिभूत किया। मिलना-बिछड़ना, खोना-पाना, रूठना-मनाना, उनको सताने और प्यार जताने का अंदाज बस छाता ही चला गया कि जहां विराम लगाने की कोशिश की, वहीं बस एक और! की फरमाइश ने मंच छोड़ने ही नहीं दिया शहजाद को। उनके सुनाए कुछ शेर इस तरह थे- 'बस यही दो मसले जिंदगीभर ना हल हुए! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए', 'वक्त ने कहा काश थोड़ा और सब्र होता, सब्र ने कहा काश थोड़ा और वक्त होता', 'हुनर सड़कों पर तमाशा करता है और किस्मत महलों में राज करती है..।'
शेरो-शायरी को दिलकश अंदाज व रूमानी अंजाम तक पहुंचाने के बाद फरहत शहजाद ने मंच की बागडोर दी शकील अहमद साहब को, जिन्होंने अपने साथी कलाकारों, अनीस खान, अलिम खान और शौकत हुसैन के साथ ताल से ताल मिलाकर अपने सशक्त अंदाज में श्रोताओं को अंदाज-ए-गजल से सराबोर किया। शकील अहमद द्वारा प्रस्तुत गजलों में 'तुम्हारे साथ भी तन्हा हूं तुम न समझोगे..', 'बेसबब ही जो ये शरमा सा गया है कोई', 'मेरे मिजाज की आवारगी पे मरती है, जैसे मेरे ख्याल..', 'खुशियों के लिए..', 'जरा सा आप से बाहर से निकलकर देखो तो..' 'फैसला तुमको भूल जाने का..' आदि शामिल थीं। कार्यक्रम के दौरान फरहत शहजाद ने अपनी बहुप्रतिक्षित पुस्तक जो कि उन्होंने अपने व मेहंदी हसन साहब के रिश्ते को समर्पित की है, के विमोचन की जानकारी भी दी और कुछ चुनिंदा पल साझा किए।
कार्यक्रम की आयोजक डॉ. मृदुला टंडन ने कहा कि शायरी और गजल के माध्यम से समाज को आईना दिखाया जा सकता है। आज हमारे समाज में खासकर युवा पीढ़ी को जरूरत है अपनी तहजीब सुनने समझने और जानने की। ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से हमारा प्रयास है कि जो खजाना हमारे पास है जो आज की तेज-तर्रार जिंदगी में खोती जा रही है, उसकी खूबसूरती को दिखाना व समझाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, "गंगा-जमुनी तहजीब जो पूरे संसार में प्रख्यात है उसका प्रचार प्रसार बहुत जरूरी है। मुझे खुशी है कि हमारे इस प्रयास में फरहत शहजाद जैसा सशक्त कलाकार भी अपने कौशल के द्वारा इस खुशबू को फैलाने के लिए हमसे जुड़ा है।"